नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संसदों और विधायकों (MP/MLA) के खिलाफ मुकदमों को लेकर एक अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि बिना हाई कोर्ट की इजाजत के बिना राज्य सरकारें सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस नहीं ले सकेंगी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संसदों और विधायकों (MP/MLA) के खिलाफ मुकदमों को लेकर एक अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट की इजाजत के बिना राज्य सरकारें सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस नहीं ले सकेंगी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों का स्पेशल कोर्ट में स्पीडी ट्रायल होना चाहिए. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी हाई कोर्ट के रजिस्टार जनरल अपने चीफ जस्टिस को सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित, निपटारे की जानकारी दें।
इसके अलावा सीबीआई कोर्ट और अन्य कोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें. सांसदों/ विधायकों के खिलाफ आपराधिक ट्रायल के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल बेंच का गठन करने का फैसला किया है।

नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे का मामला के मामले में CJI ने ED की स्टेटस रिपोर्ट अखबारों में छपने पर नाराजगी जताई. नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि आज हमने पेपर में रिपोर्ट पढ़ी. सब मीडिया को पहले ही मिल जाता है. CBI की तरफ से SG तुषार मेहता ने कहा कि CBI ने इस मामले में अभी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की हैय कुछ समय चाहिए रिपोर्ट दाखिल करने के किये. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है।

ED की स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम* कोर्ट ने असंतुष्टि जताते हुए कहा कि ये तो केवल कागज़ का दस्ता है. कोई प्रॉपर फॉर्मेंट में नहीं है. इसमें पूरी जानकारी नहीं दी गई है. SG तुषार मेहता ने कोर्ट से समय मांगा और फॉर्मेंट के हिसाब से स्टेटस रिपोर्ट दाख़िल करने की इजाजत देने को कहा है।सीजेआई ने दो हफ्ते का समय दिया।