-दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीने को मजबूर
सत्ता के सियासी संघर्ष में सचिन पायलेट लॉबी से आहत हुए हमारे सीएम सॉब पर अब ‘दुध से जला छाछ को फूंक फूंक कर पीनेÓवाली कहावत चरितार्थ हो रही है। सियासी सूत्रों की मानें तो अपनी लॉबी के विधायकों को सैंधमारी से बचाने के लिये जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट करने के बावजूद भी सीएम सॉब को आंशका है कि उनके विधायक अभी महफूज नहीं है। इसी आंशका के चलते उन्होने अपनी लॉबी के मंत्रियों और विधायकों को जैसलमेर में भी अलग-अलग होटलों में रखा है और एतिहात के तौर पर उनकी सुरक्षा के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। फिर बैचेनी कम होने का नाम नहीं ले रही है,खुद जयपुर चले जाते है फिर भी जेहन में जैसलमेर ही रहता है,अब अपनी पीड़ा सुनाये तो किसे,शीर्ष नेतृत्व तमाशबीन बना हुआ है। मगर फिलहाल सब खैरियत है।

– दिव्या नहीं दिख रही कल्टी मार गई क्या!
राजस्थान की सत्ता को लेकर चल रहे संघर्ष में अब ओसियां विधायक सुश्री दिव्या मदेरणा को लेकर सस्पेंश गहराया गया है। यह मामला सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है, यूजर कमेंट्स कर रहे है कि क्या हुआ दिव्या नहीं दिख रही, कहीं कल्टी तो नहीं मार गई ! हूआ यूं कि रक्षाबंधन पर सीएम की मौजूदगी में हुए फोटो सेशन में कांग्रेसी नारी शक्ति की तमाम विधायक जिसमें ममता,गंगा देवी,शकुंतला,जाहिदा,साफिया,कृष्णा,रमिला,इंदिरा, निर्मला, मंजू,मीना और मनीषा नजर आई मगर दिव्या नहीं दिखी। ऐसे में दिव्या की गैर मौजूदगी को लेकर सोशल मीडिया के कई यूजर्स ने उनके पाला बदलने की संभावनाओं से जोड़कर भी कमेंट्स शुरू कर दिये। जानकारी में रहे कि सत्ता के संघर्ष में कांग्रेस के दोनों ही कैम्पों को अपने-अपने विधायकों के पाला बदलने का खतरा सताया हुआ है । दोनों ही ओर से एक-दूसरे के कैम्प में मौजूद विधायकों के सम्प्पर्क में होने और पाला बदलने तक के दावे किये गए हैं। ऐसे में किसी विधायक का ना दिखना प्रदेश की गरमाई राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाता है। मगर फिलहाल सब खैरियत है।


– लागत वसूली पर ज्यादा जोर
प्रदेश में कांग्रेसी सत्ता रहेगी या नहीं…यह सवाल अब आमजन से ज्यादा नौकरशाहों के लिये बड़ा हो गया है। इसके चलते तमाम श्रेणी के नौकरशाह अपने कामकाज के बजाय सत्ता को लेकर उलझे समीकरणों में ज्यादा मशक्कत कर रहे है। ताजा हालातों में कोरोना किस स्टेज पर पहुंच गया है,इसकी किसी को चिंता नहीं है। बड़ी चिंता, सत्ता को लेकर उपजे माहौल को लेकर है। इनमें कई नौकरशाहों की चिंता तो इस कदर बढी हुई है कि उन्होने सत्ता बदलने की आंशका में अपनी लागत वसूलनी भी शुरू कर दी है,लागत वसूली की इस जल्दबाजी में कई सॉब लोग तो एसीबी वालों से अपने हाथ भी रंगवा बैठे। वहीं ठंडे में लगे कई नौकरशाहों को अच्छे दिनों की उम्मीद नजर आने लगी है,ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगने की आंशका से कई राहत की सांस भी ले रहे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।

– सुहानी चांदनी रातें हमें सोने नहीं देती
जैसलमेर की आलिशान होटल में चल रहे सत्ता के कैंप में शामिल विधायक भी अब एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगे है,ऐसा ही वाकया अभी पिछली रात को भी हुआ जब विधायकों के बीच चल रही अंताक्षरी में शेखावाटी के सदाबहार मिजाज वाले के एक विधायक ने अपनी सुरील आवाज में ‘सुहानी चांदनी रातें हमें सोने नहीं देती.. की तर्ज वाला गाना सुनाया तो दाद देने के बजाय साथी विधायकों में सुगबुगाहट शुरू हो गई,इससे सदाबहार जी भी पेशोपेश में आ गये,बाद में उन्हे पता चला कि इस तरह की सुगबुगाहटें अकेले उनके लिये कई साथियों के लिये चल रही है। इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।