बीकानेर। सुरक्षा बंदोबश्तों को लेकर सालों से सुर्खियों में रही बीकानेर सैंट्रल जेल एक बार फिर चर्चा में आ गई है। अपराधियों के लिये मौजस्थली बनी बीकानेर सैंट्रल जेल में नामी अपराधी और मालदार बंदी वह सब सुविधाएं भोग रहे है,जो जेल में पूरी तरह प्रतिबंधित है। जेल के अंदर से अपना अपराधिक नेटवर्क चलाने के लिये हाई क्वालिटी मोबाईल फोन,नशाखोरी के लिये मादक पदार्थ समेत अनेक अवांच्छिनीय साजों सामान उन्हे आसानी से मुहैया हो रहा है। बंदियों को प्रतिबंधित साजों-सामान और मादक पदार्थ मुुहैया कराने वालों में जेलर से लेकर जेल प्रहरी भी शांमिल है,इस खेल में जेल प्रशासन के अधिकारी भी मिलें हुए है। इसका खुलासा अभी दो दिन पहले एक प्रहरी द्वारा जेल की एलईडी में छुपाकर पहुंचाये जा रहे मोबाईलों की खेप से हो चुका है,इससे पहले सैंट्रल जेल में चल रहे भवन निर्माण के लिये सिमेंट के कट्टों में मोबाईल फोन और प्रतिबंधित साजों सामान बरामद हुआ था। इन दोनों ही मामले में जेल में तैनात एक जेलर का नाम सामने आ चुका है। इससे पहले भी एक होमगार्ड के जवान द्वारा जेल में बंदियों को अवांच्छिनीय वस्तुएं पहुंचाये जाने का मामला उजागर हो चुका है। यह भी पता चला है कि ट्रोमाडोल नामक नशीली टेबलेट्स तो जेल के अंदर बड़े पैमाने पर सप्लाई हो रही है,इसकी सप्लाई में जेल प्रशासन के अधिकारी और जेल प्रहरी भी मिले हुए है। जानकारी में रहे कि पिछले सालभर के अंतराल में बंदियों से 94 मोबाइल बरामद हो चुके है। इस साल की शुरुआत में भी बंदियों के पास मोबाइल होने और जेल से बाहर बात करने के मामले सामने आ चुके है। इतना ही नहीं जेल में बंदियों के पास अवांच्छिनीय साजों सामान बरामद होने के कई मामले तो जेल प्रशासन द्वारा अंदर के अंदर ही दबाये जा चुके है। ऐसे में इंकार नहीं किया जा सकता कि बीकानेर सैंट्रल के बंदियों तक पहुंच रहे मोबाईल,मादक पदार्थ और अवांच्छिनीय साजों सामान के खेल में जेल उच्च अधिकारियों से लेकर प्रहरी तक आपस में मिलें हुए है। सुरक्षा मानकों पर हो चुकी है फैल* जानकारी में रहे कि बीकनेर सैंट्रल जेल सुरक्षा मानकों पर सालों पहले ही फैल हो चुकी है। जानकारी के अनुसार साल 2014 में हुई गैंगवार के बाद मानवाधिकार आयोग की ओर से नामित समिति ने सुरक्षा मानकों को लेकर जांच पड़ताल की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में समिति ने सुरक्षा मानको पर जेल को पूरी तरह खरी नहीं माना,इसके अलावा अंडर ट्रायल कैदियों की व्यवस्था को लेकर भी समिति ने सवाल उठाते हुए दुरुस्त करने की सिफारिश की थी। जेल के अंदर हॉस्पिटल की बदहाली और व्यवस्थाओं को लेकर भी नाराजगी जताई थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रिपोर्ट में मॉनिटरिंग स्तर पर कमी बताई गई थी। इस रिपोर्ट के बाद भी कारागार विभाग ने बीकानेर सैंट्रल जेल में सुधार के लिये कोई खास कदम नहीं उठाये। * यह है ताजा प्रकरण-  प्रकरण के अनुसार सोमवार को दोपहर करीब ढाई बजे जेल प्रहरी मनोहरलाल एक एलईडी लेकर पहुंचा था। वह एलईडी को जेल में ले जाने लगा तब वहां तैनात आरएसी के जवानों ने एलईडी की तलाशी ली तलाशी के दौरान करीब 30 मोबाइल, दो डोंगल, तीन ईयर फोन, तीन मोबाइल के चार्जर,१2 जर्दे की पुडिय़ा बरामद हुई थी, जेल प्रशासन मामले को दबाने में जुट गया। इसी के चलते न कोई कार्रवाई की और ना ही संबंधित थाने में मामला दर्ज कराया। इस पूरे मामले में प्रहरी मामले को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उसे निलम्बित कर दिया गया और विजय सिंह जेलर की भूमिका संदिग्ध होने पर उसे जेल से हटा दिया गया है। जेल अधीक्षक की भूमिका भी संदिग्ध- इस मामले में जेल अधीक्षक परमजीत सिंह सिद्धू की भूमिका भी संदिग्ध रही है,बताया जाता है कि एलईडी में मोबाईल और जर्दे की पुडिय़ा बरामद होने के बाद आरएसी जवानों ने जेल अधीक्षक सूचना दे दी,लेकिन जेल अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और शाम पांच बजे तक भी जब एलईडी की जांच करने नहीं पहुंचे,इतना ही नहीं मामला संज्ञान में आने के बाद भी जेल अधीक्षक ने कोई कार्यवाही नहीं की और मामला दबाने में जुट गये। इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत आरएसी जवान ने अपने उच्चाधिकारियों को की। उच्चाधिकारी ने आरएसी मुख्यालय और वहां से जेल महानिदेशक के ध्यान में प्रकरण लाया गया। इसके बाद जेल मुख्यालय के निर्देश पर कार्रवाई की गई। मामले को लेकर ताजा अपटेड मिला है कि मुख्यालय द्वारा जेल अधीक्षक परमजीत सिद्धू को एपीओं किया जायेगा।