रिपोर्ट – कविता कंवर
बीकानेर, । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र सार्दुल गंज में रविवार को रक्षा बंधन का पर्व आध्यात्मिकता , सामूहिक सहज राजयोग साधना के साथ मनाया गया।
विश्व विद्यालय की क्षेत्रीय केन्द्र संचालिका बी.के.कमल के नेतृत्व में ब्रह््माकुमारी बहनों ने केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्य के उर्जा व जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ.बुलाकीदास कल्ला, महापौर सुशीला राजपुरोहित, जिला कलक्टर नमित मेहता सहित अनेक जन प्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों, सेना के अधिकारियों, जवानांें, वृद्ध आश्रम में रह रहे घर परिवार से बेघर लावारिसों, वृद्धजनों की सेवा करने वाली सिस्टर्स के रक्षा का सूत्र बांधा तथा शुभ संकल्प दिलवाया गया।
केन्द्र में आयोजित समारोह में कि करोना के बचाव नियमों की पालना करते हुए मुख्य पर्व मनाया गया। पर्व के दौरान बी.के. मीना, बी.के.रजनी व बी.के.राधा ने गणमान्य नागरिकों व केन्द्र में आने वाले भाइयों व बहनों के भाल पर कुमकुम का तिलक किया तथा अक्षत्र लगाया, मुंह मीठा करवाया और कलाई पर स्नेह व आत्मीयता का प्रतीक रक्षा का सूत्र बांधा।
मुख्य उत्सव में क्षेत्रीय केन्द्र प्रभारी बी.के.कमल ने प्रवचन में कहा कि रक्षा बंधन का पर्व सभी को स्नेह सूत्र में बांधकर सम्पूर्ण पावन बनने और बनाने की प्रतिज्ञा याद दिलाता है। रक्षा बंधन के दिन अपनी मन,बुद्धि को स्वच्छ व पावन बनाएं जिससे परमपिता परमात्मा और सर्व आत्माओं का आशीर्वादश् मिलता रहे। राखी पूनम पर सबसे दुआएं ले तथा सबको दुआएं दे। शुभ संकल्प व दुआओं से आत्म शक्ति व सम्बल मिलता है।
उन्होंने विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी बी.के.रतन मोहिनी का संदेश का स्मरण दिलाते हुए कहा कि रक्षा बंधन के दिन संकल्प लें कि हम सबको स्नेह की डोर में बांधकर स्वयं पावन बनेगे और दूसरों को भी पावन बनाने के प्रयास व प्रयत्न करेंगे। अपने शुद्ध,श्रेष्ठ पवित्र संकल्पों की शक्ति से तमोगुणी वायुमंडल को परिवर्तन करना है यही हम सबकी श्रेष्ठ सेवा है। राखी के धागों को यादगार पर्व हमें 5 सूत्रों को पक्का रखने का संकल्प दिलाता है। मुझे सर्व गुणों और कलाओं सेसंपन्न बन, सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है। मुझे न व्यर्थ की बाते सुनना है न सुना है। अपने चिंतन को शुद्ध और श्रेष्ठ बनाना है। मुझे सपूत बनकर सबूत देना है, आज्ञाकारी, वफादार, ईमानदार बनकर रहना है। एक परमपिता परमात्मा के सिवाय और कोई भी याद नहीं आए ऐसी पावन आत्मा बनना है। नम्रता, मधुरता, धैर्यता, सच्चाई के साथ पवित्रता के गुणको धारण कर बहुत अच्छा वातावरण बनना है।