हर्षित सैनी
रोहतक, 8 दिसम्बर। अन्तर्राष्ट्रीय समाज शास्त्र एसोसिएशन के ह्यूमन राइट्स एवं ग्लोबल जस्टिस के न्यूज लेटर के सम्पादक व नॉर्थ वेस्ट इंडियन सोशलोजिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. भूप सिंह गौड़ 11-14 जुलाई ,2020 को ब्राजील के पोर्ट एलिगरी शहर में होने वाली वर्ल्ड फोरम ऑफ सोशयोलोजी में ‘मीडिया वैश्वीकृत विश्व में मानव अधिकारों का सजग प्रहरी है’ नामक तकनीकी सत्र का संचालन करेंगे।

इसमें विभिन्न देशों एवं राज्यों के शिक्षाविद अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। जिनमें प्रो. आलोक कुमार मीना, डॉ. शीतल प्रसाद, डॉ. अरविंद (राजस्थान), प्रो. दीपक, डॉ. जगवीर (पंजाब), प्रो. मोहिन्द्र स्लारिया (हिमाचल प्रदेश), डॉ. सहोर (दिल्ली), प्रो. नारगेला, प्रो. देशराज सब्बरवाल (मदवि रोहतक) व दीप्ति कौशिक (उत्तर प्रदेश) के शोध पत्र स्वीकार किए गए। इस सत्र में डॉ. विनोय ज्योति दास (आसाम) सह संयोजक की भूमिका निभाएगी।
प्रो. गौड़ ने बताया कि इस तकनीकी सत्र के अलावा वे दो शोध पत्र भी पढ़ेंगे। उनका एक शोध पत्र गांव व शहर के दलित समाज में प्रचलित भीम जागरण मनोरंजनात्मक गतिविधि होने के साथ-साथ दलित समाज में एक प्रखर पहचान बनाने में सहायता कर रहे हैं। वे अम्बेडकरवाद एवं अन्य महापुरूषों के विचारों को आतरीकृत करने के साथ-साथ उन्हें अंधविश्वास के प्रति और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

उनका दूसरा शोध पत्र ‘विकास, विस्थापन और मुआवजा नीति का आलोचनात्मक मूल्यांकन’ विषय के बारे में है। प्रो. गौड़ का कहना है कि विकास की अंधी दौड़ में अपने आप को एक अंधे कुएं में धकेल रहे हैं। जहां से वापसी मुश्किल है। आजादी के बाद विभिन्न प्रकार की विकास योजनाओं के कारण कई लाख लोग विस्थापित किए गए लेकिन उनके पुर्नवास के प्रयास आज भी अधूरे हैं।
उन्होंने कहा कि विस्थापन के कारण मिलने वाला मुआवजा तथा अन्य सुविधाएं अत्यंत कम हैं। इसके कारण उस क्षेत्र के मूलनिवासी, जनजाति के लिए अस्तित्व बचाये रखना कठिन हो रहा है। इसलिए सरकार ऐसी नीतियां बनाये जिसमें आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास भी हो और समाज के सभी पक्षों की संस्कृति बची रहे।
उनकी इस उपलब्धि पर उनके विभाग के सचिन, सुनीता, आगा तथा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पूजा खुल्लर, नताशा जून, ज्योति सिंह, डॉ. सुशीला कुमार सहित अन्य प्राध्यापकों ने बधाई दी।