-कांफ्रेंस में विभिन्न राज्यों एवं विदेशों के करीब 900 समाज शास्त्रियों ने लिया भाग

– सेवानिवृत्त प्रोफेसर बी.के. नागला को 2019 का लाइफ एचीवमेंट अवार्ड मिलना हमारे लिए गर्व की बात-प्रो. देसराज

अनूप कुमार सैनी
रोहतक, 2 जनवरी। केरल राज्य की राजधानी त्रिवेन्द्रम के विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित 45वीं अखिल भारतीय समाज शास्त्र कांफ्रेंस में देश के विभिन्न राज्यों एवं विदेशों के लगभग 900 समाज शास्त्रियों ने भाग लिया।
इस कांफ्रेंस में नार्थ वेस्ट इंडियन सोशयोलॉजीकल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. भूप सिंह गौड़ ने इस कांफ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय उदारवाद, उपभोक्तावाद, वाणिज्यवाद जीवन के अवसरों के कारण प्रवास के लिए प्रेरित होते हैं। उनका कहना था कि जहां विदेशों में भारतीयों की पहचान आज से तीन दशकों पहले श्रमिक और टैक्सी चालक के रूप में होती थी।
उन्होंने कहा कि अब वे अपने आपको उच्च कौशल प्राप्त प्रबंधक, इंजीनियर, व्यवसायी, वैज्ञानिक, शोध कर्त्ता, राजनीतिज्ञ के तौर पर स्थापित कर चुके हैं। प्रवासी भारतीय वहां पर भी अपनी पहचान और संस्कृति को सुरक्षित रखे हुए हैं।
प्रो. भूप सिंह गौड़ ने एक अन्य तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय जातीय, प्रजातीय, धार्मिक, क्षेत्रीय, भाषायी और खगोलीय विभिन्न वाला देश है। इसलिए भारतीय समाज और इसकी समस्याओं को समझने के लिए और उनके हल के लिए सन्दर्भात्मक और समवन्यात्मक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. देसराज सब्बरवाल ने कहा कि समाज शास्त्र विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बी.के. नागला के 2019 का लाइफ एचीवमेंट अवार्ड मिलना हमारे लिए गर्व का विषय है। वे अब तक 12 पुस्तकें लिख चुके हैं और उनके 60 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय समाज शास्त्र विभाग को स्थापित करने में अहम योगदान दिया।
इस कांफ्रैंस में शोध छात्रा प्रीति राज ने अपना शोध पत्र जेंडर स्टडीज में किया। कांफ्रेंस में प्रो. मधु नागला को भी भारतीय समाज शास्त्र सोसायटी के चुनाव अधिकारी की भूमिका निभाने पर सम्मानित किया गया।