– शिक्षा के साथ व्यक्तित्व के निर्माण के लिए शिक्षा में मानवीय मूल्यों का समावेश समय की मांग : प्रो. एचडी चारण

– बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला “मानवीय मूल्यों का तकनीकी शिक्षा में समावेश” विषयक कार्यशाला व ई-प्रमाण पत्र वितरण समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि रखे अपने विचार

बीकानेर।मानवीय मूल्यों के आत्मसात से ही व्यक्ति में आत्मविश्वास पैदा होता है। आत्मविश्वासी ही कोरोना जैसी महामारी को मात दे सकता है। शिक्षा ने यदि किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास को जगा दिया तो उस व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर विजय हासिल होगी। ये विचार राजस्थान के राज्यपाल व बीटीयु के कुलाधिपति कलराज मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यशाला एवं ई-प्रमाण पत्र समारोह में कही । उन्होंने कहा की मानवीय मूल्य व्यापक होते है। इनमें संवेदनशीलता, सद्आचरण, सकारात्मक व्यवहार व सोच जैसे गुण समाहित होते है। श्री मिश्र ने कहा कि इन्ही गुणों के कारण व्यक्ति अवसाद और निराशा जैसी स्थितियों से बचा रहेगा। राज्यपाल ने कहा कि युवा पीढ़ी को विकास के लिए प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि युवा की रचनात्मक मानसिकता को भी विकसित करना होगा ताकि युवा पीढ़ी देश के विकास में सक्रिय भागीदारी निभा सके। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से आत्मसात करने वाले गुण ही मानवीय मूल्य होते है। मानवीय मूल्यों से पाप और पुण्य का विश्लेषण करने का ज्ञान भी व्यक्ति में पैदा होता है। जीवन में स्वंय पर अनुशासन भी व्यक्ति मानवीय गुणों से ही कर सकता है। ऎसे गुण वाले व्यक्ति हर क्षेत्र में निरन्तर आगे बढते है। मशीन बनकर नही रहना है। हमें मानव बनना है। आज के युवा और देश के भविष्य को भी मानवता के गुण सिखाने है। इसके लिए लोगों में संवेदना पैदा करनी है। उन्होंने कहा कि हमें ऎसी संवेदना समाज में विकसित करनी होगी, जिससे की सभी लोग आपस में जुड़े रह सके। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय मूल्य संस्कारमय व त्याग पर आधारित है। समाज के लिए आवश्यक है कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का वातावरण बनाया जाये। उन्होंने कहा कि संस्कार का प्राथमिक स्थल परिवार है और उसके बाद विद्यालय से संस्कार मिलते हैं। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा संस्थानों का स्वरूप संस्कारमय होना चााहिए ताकि युवा पीढ़ी का सर्वागींण विकास हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थान ही लोगों में प्रतिभा जागृत करने के स्त्रोत होते हैं।

कार्यशाला के दुसरे सत्र को संबोधित करते हुए एआईसीटीई अध्यक्ष प्रो. अनिल सहरत्रबुद्वे ने कहा कि मानवीय मूल्यों में जीवन की समस्याओं के समाधान के मार्ग है। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर राष्ट्र का रास्ता गांव से ही आरम्भ होता है।

कुलपति प्रो. एच. डी. चारण ने बतायाकि अप्रैल 2018 में अपनी स्थापना के साथ ही विश्वविद्यालय ने मूल्य आधारित तकनीकी शिक्षा का संकल्प लिया ताकि विश्वविद्यालय से पास होने वाला प्रत्येक छात्र अपनी जिम्मेदारी को समझ कर समाज में जाये और अपनी सही भागीदारी सुनिश्चित करसके। उसके अंदर इस व्यवस्थाओं को ठीक से देखने कि दृष्टि तथा जीने की प्रेरणा बनती है। बीटीयू ने इस दिशा में कई अन्य पहल भी की हैं जैसे राजस्थान में पहली बार मानव मूल्य शिक्षा का एक अलग संकाय की स्थापना और जिसके तहत 5 नोडल केंद्र तथा सभी महाविद्यालयों में केंद्र स्थापित किए गए हैं। ये नोडल सेंटर अब प्रत्येक कॉलेज में छात्रों के साथ सीधे जुड़ कर इस विषय को उन तक पहुंचा रहे हैं। और इस तरह से विश्वविद्यालय ने आनंदम कोर्स के लिए बेहतरीन मंच तैयार कर लिया है तथा इस सत्र से विश्वविद्यालय आनंदम को इसके पूरे भाव के साथ लागू भी कर रहा है।

विश्वविद्यालय की मानवीय मूल्यों की डीन डॉ अल्का स्वामी ने बताया कि मानवीय मूल्यों की इस शिक्षा से हमने अपने विद्यार्थियों उनके बवससमहम के प्रथम वर्ष में जिस लौ को जलाने का प्रयास किया है पूर्ण विश्वास है कि समय के साथ जीवन को समग्र रूप से देखने की दृष्टि देने वाली यह यह लौ उनके जीवन को प्रकाशित करने वाली रोशनी में बादल जाएगी और वो अपने जीवन का उद्देश्य केवल नौकरी और पैसे को ही ना देख कर बल्कि पूर्ण दृष्टि से देख पाने में सक्षम हो पाएंगे जिसमें सुखए स्वस्थए संबंध और सही भागीदारी की समझ और एक पूर्ण मानवीय जीवन जीने कि योग्यता विकसित कर पाएंगे। कार्यक्रम में 1100 विद्यार्थियों की भागीदारी रही जिनमे से 829 विद्यार्थियों को प्रमाण पात्र वितरित किया गया है l इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल भी मौजूद थे।