बीकानेर। कोई यह कह दें कि बिना मिलावटी चीजें दिलाने वालों को 51 हजार का पुरस्कार तो जीतने वाले बामुश्किल मिलेंगे। मिलावटी चीजें बेचने वाले हर चोराहों पर मिल जाएंगे। पकड़े कौन ? अगर पकड़ना है तो सुबह टँकीयो में भरकर बेचा जा रहा सिंथेटिक दूध, मिलावटी दूध बेचने वालों को पकडो। हर घर में मिलावटी दूध बेरोकटोक दिया जाता है क्योंकि खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना करवाने का जिम्मेदार विभाग आंखे मूंदकर बैठा है। केवल दूध ही नहीं घी, तेल, मसलों में मिलावट धड़ल्ले से चलती है। किसी अधिकारी के पास 51 हजार इनाम के नगद है तो आइए बताते हैं मिलावटी सामान का बाजार। ज्यादा दूर नहीं फड़ बाजार में ही तलाशी लेकर देख लें। चलों त्यौहार के मौके पर ही सही निरोगी राजस्थान अभियान के नाम पर मिटिंग औऱ मीडिया के प्रचार से बाहर निकलकर तो देखो। मावा तो खाना पूर्ति है। सेहत से खिलवाड़ तो व्यापक स्तर पर मिठाइयों में कृत्रिम रंग, स्वाद के लिए एसेंस ( रसायन) मिलाकर किया जा रहा है जो मानव स्वास्थ्य के लिए कितना खरनाक है जांच करके तो देखिए। अमानक औऱ अपमिश्रित खाद्यान्न हर जगह मिल जाएगा। घी मिलावटी, तेल मिलावटी, मसाला, आटा, बेसन बचा क्या है ? मिलावट पकड़वाने वालों को कहाँ से देवो 51 -51 हजार का इनाम। बजट है क्या इतना।

हानिकारक उत्पाद हर जगह मिलेंगे। राज्य सरकार मिलावट रहित खाद्य पदार्थ आम लोगों तक नहीं पहुचा पा रही है। न ही खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना ही करवा पा रही है। ऐसे में मिलावट पकड़वाने वाले कि बजाए बिना मिलावट का सामान बताने वाले को 51 हजार को पुरस्कार देना कितना उचित रहेगा जरा सोचिए कलक्टर साहब। अन्यथा मिलावट के खिलाफ कड़ीं कार्रवाई करके दिखाए ।