जिज्ञासु मन को खंगालने और जवाब पाने का प्रयास है ‘क्यूं रचूं कविता’
वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने बुधवार को युवा कवि हरिशंकर आचार्य के तीसरे काव्य संग्रह ‘क्यू रचूं कविता’ के लोकार्पण अवसर पर यह विचार रखे। मुक्ति संस्थान की ओर से बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल सभागार में आयोजित समारोह के दौरान शर्मा ने कहा कि संग्रह की इक्यावन कविताएं पाठक के समक्ष अनेक छवियां गढ़ती हैं। इनमें सामाजिक विद्रूपताओं के विरूद्ध रोष है तो इन्हें दुरुस्त करने की उत्कंठा भी है। यह कविताएं सीधे पाठक मन में उतरती हैं और पाठक को झकझोरती हैं।
जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक दिनेश चंद्र सक्सेना ने कहा कि जनसंपर्क जैसी राजकीय सेवा के दौरान आचार्य ने अपने अनुभवों और शब्दों को संवेदना की डोर में गूंथ कर बखूबी प्रस्तुत किया है। सभी रचनाएं जमीन से जुड़ी हैं। इनमें संस्कारों और संस्कृति के संरक्षण का प्रयास किया गया है।
युवा राजस्थानी साहित्यकार डाॅ. नमामी शंकर आचार्य ने कहा कि ‘क्यं रचूं कविता’ की रचनाएं कवि के अंतर्मन का द्वंद्व है। कवि इनके माध्यम से अनेक प्रश्न रखता है और पाठक से इनके जवाब की आशा करता है। उन्होंने कहा कि कविताओं की सपाटबयानी इनकी सबसे बड़ी खूबी है, जो प्रत्येक पाठक के मन में आसानी से बैठ जाती हैं।
*तीन पुस्तकों का तीन जिलों में हुआ विमोचन*
‘क्यूं रचंू कविता’ आचार्य की तीसरा काव्य संग्रह है। इससे पूर्व वर्ष 2012 में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के सहयोग से प्रकाशित राजस्थानी काव्य संग्रह ‘करमां री खेती’ का विमोचन नागौर में हुआ। दूसरी पुस्तक राजस्थानी बाल काव्य ‘पेटूराम रो पेट’ का विमोचन चूरू के सालासर में वर्ष 2019 में हुआ। वहीं ‘क्यूं रचूं कविता’ का प्रकाशन राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की पांडुलिपि प्रकाशन योजना के तहत किया गया है। इसका विमोचन बीकानेर में हुआ है।