राजस्थानी में बाल साहित्य सृजन आज की आवश्यकता

सालासर/बीकानेर, 14 अक्टूबर। राजस्थानी में बाल साहित्य सृजन आज की आवश्यकता है। इस दिशा में सतत लेखन होना चाहिए। आचार्य की नई पुस्तक इस दिशा में मजबूत कड़ी साबित होगी।
सोमवार को सालासर के सावरथिया सेवा सदन में राजस्थानी के युवा कवि हरि शंकर आचार्य की बाल कविताओं की पुस्तक ‘पेटूराम रो पेट’ के विमोचन दौरान अतिथियों ने यह बात कही। राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार भँवरसिंह सामौर ने कहा कि राजस्थानी बाल साहित्य, सन्देश परक हो। बच्चों को जीवन मूल्यों से रू-ब-रू करवा सके, ऐसी क्षमता इसमें होनी चाहिए।
केंद्रीय साहित्य अकादमी में

राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि आचार्य की कविताएं लयबद्ध होने के साथ, अर्थपूर्ण हैं। यह सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं लिखी गई हैं, बल्कि प्रत्येक कविता कुछ ना कुछ सिखाती है।
उदयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार अरविंद आशिया ने कहा कि युवाओं का बाल साहित्य सृजन की ओर अग्रसर होना, भाषा और साहित्य के लिए सुखद संयोग है।

मरुदेश संस्थान के घनश्याम नाथ कच्छावा ने पुस्तक के बारे में बताया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अनुराग हर्ष, युवा कवि पुनीत रंगा, कमल किशोर पीपलवा, गौरी शंकर निमिवाल, विनीता शर्मा सहित अन्य युवा साहित्यकार मौजूद रहे।