बीकानेर।बीकानेर तकनीकी विष्वविद्यालय के संघटक महावि द्यालय में पांच दिवसीय कार्यषाला की षुरूआत हुई। कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ. अनु षर्मा ने बताया कि यह एफ. डी. पी. ‘‘इन्टरडिसिप्लीनरी एप्रोच टू सस्टेनेबिलिटी यूजिंग ग्रीनटेक्नोलाजी‘‘ पर है। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में बीकानेर तकनीकी विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच. डी. चारण ने कहा कि हरित तकनीकी एसी नीतियों को प्रोत्साहित करती है जो पर्यावरण की रक्षा की दृष्टि से अच्छी है। इसका लक्ष्य हरित रसायन बनाना, उत्पादों की उर्जा दक्षता बढ़़ाना, उनके वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करना है। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. वाई. एन. सिंह ने बताया कि सतत विकास वह विकास है जो निरन्तर चलता है। आर्थिक प्रक्रिया को सरल बनाता है और सेवाऐं उपलब्ध करवाता है। प्राकृतिक संसाधनों का क्षय नहीं होने देता है। यह एसी टेक्नोलोजी है जो प्राकृतिक सिद्धान्तो पर काम करती है। जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता जैसे ग्रीन मेडिसिन, ग्रीन नेनोटेक्नोलोजी, ग्रीन सेन्सर, ग्रीन उर्जा आदि। डाॅ. एस. के बंसल ने बताया किश्भविष्य में अपार सम्भावनाओं से युक्त हरित तकनीकी आज की आवष्यकता बन गई है।

इन पर तीव्र गति से अनुसंधान चल रहे है और जस्टेनेबल विकल्पों की खोज हो रही है जो बायोडीग्रेडेबल है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. आर.सी.गौर ने बताया कि ग्रीन उर्जा वह स्त्रोत है जो कभी खत्म नहीं होता है मान द्वारा संसाधनो के षोषण ने प्रकृति के नियम को असंतुलित कर दिया है ग्रीनर डेवलपमेंट द्वारा हम सतत विकास ला सकते है। डाॅ. एस.के. मेहला ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज के परिपेक्ष्य मे हमे ऐसी तकनीकी की जरूरत है जो मानव हितेषी हो ग्लोबलवार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, खतरनाक बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए हरित उत्पाद काफी महत्वपूर्ण है कार्यक्रम के प्रथम सत्र के स्पीकर और गेस्ट आॅफ आॅनर प्रो.वाई.सी.षर्मा ने बताया कि आज भविष्य की अपार संभावनाआंे से युक्त हरित उर्जा आज की आवष्यकता बनती जा रही है नित नवीन हरित प्रौद्योगिकीयाॅ सामने आ रही है जो पारम्परित उर्जा स्त्रोतो पर निर्भरता को कम करती है उन्होने बताया कि सौर, पवन जल, भू-तापीय, बायोमास से भारत में कितनी उर्जा उत्पन्न करने की संभावनाए की से हरित उर्जा विकल्प पूर्णतया निषुल्क एवं प्रचुरता में उपलब्ध है आवष्यकता मात्र इस बात की हे कि नयी एवं सरल तकनीकि द्वारा इन से उर्जा को प्राप्त किया जा सके। द्वितीय सत्र की ईन्चार्ज श्रीमति नीलम स्वामी ने बताया कि प्रो.कुषल कोंगू, चण्डीगढ यूनिर्वर्सिटी ने व्याख्यान दिया एवं बताया कि जल के स्त्रोत कम होते जा रहे है अतः नयी हरित तकनीकि द्वारा हमे प्राकृतिक संसाधनो से इन्हें प्राप्त करने की आवष्यकता है उन्होने बताया कि वायु में नमी द्वारा जल को कैसे प्राप्त किया जा सकता है पानी के स्त्रोत ग्लोबल वार्मिग के कारण निरंन्तर सूख रहे है हरित जनरेटर उपयोग करके वायु की नमी से पानी बनाया जा सकता है जो पीने, एग्रीकल्चर इन्डस्ट्रीस आदि में बिना नुकसान के काम में लिया जा सकता है डाॅ. गायत्री षर्मा सह आचार्य ने बताया कि इस क्षेत्र में जागरूकता का अभाव है एसे कार्यक्रम द्वारा नई तकनीकि का ज्ञान प्राप्त होगा इनकी वास्तविक क्षमता का ज्ञान प्राप्त होगा। डाॅ. अनु षर्मा ने बताया कि भारत उन षीर्ष तीन देषों में षामिल है जो वैष्विक स्तर पर नवीनीकरण उर्जा के विकास को बढ़ावा दे रहें हैं तथा …डाॅ. नरेन्द्र भोजक , ग्रीन केमिकल टेक्नोलोजी एवं डाॅ. प्रतीक रिफ्यूज्ड डेराकफ्यूल पर व्याख्यान देंगें। डाॅ. हेम आहूजा, अनिता पंवार, राजेष सुथार ने तकनीकी सत्र सम्भाला। डाॅ. प्रीती पारीक, डाॅ. भुमिका चोपड़ा, सुरेन्द्र जांगु भी उपस्थित थे।