बीकानेर। राजस्थान मोटयार परिषद द्वारा आगामी 21 फरवरी को होने वाले विशाल धरने को लेकर आज प्रेस कान्फ्रेंस आयोजित की। जिसमें राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर पिछले 70 वर्षों से चल रहे आंदोलन की रूपरेखा को इंगित करते हुए आगामी समय में होने वाले धरना-प्रदर्शन कार्यक्रमों की रूपरेखा को बताया गया। सवालों का जवाब देते हुए डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने बताया कि राजस्थानी भाषा मान्यता का आंदोलन 1944 से हिनाजपुर सम्मेलन से चल रहा है। लेकिन राजस्थान का दुर्भाग्य है कि राजस्थान के बच्चे अपनी ही मातृभाषा राजस्थानी के अधिकारी से वंचित है। राजस्थानी मोटायर परिषद के हरिराम बिश्नोई ने बताया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से राजस्थान में रोजगार, संस्कृति भाषा को बचाया जा सकता है।

डॉ. नमामी शंकर ने बताया कि अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से राजस्थानी को शामिल नही करना राजस्थान के बेरोजगारों के साथ कुठाराघात है। राजस्थानी विभाग शोधार्थी सुमन शेखावत ने बताया कि राजस्थानी भाषा में लाखों ग्रंथ छपे हुए है लेकिन मान्यता के अभाव में बहुत सारे ग्रंथ दुनिया के सामने नहीं आये है। अजय कंवर ने बताया कि राजस्थानी भाषा का मान्यता मिलने से लाखों रोजगार के अवसर खुलेंगे। राजस्थानी मोट्यार परिषद के उपाध्यक्ष सरजीत सिंह ने आगामी 21 फरवरी के धरने को लेकर जानकारी दी। राजेश चौधरी, डॉ गौरीशंकर, शंकरसिंह, मुकेश रामावत, प्रशांत जैन, भरतदान चारण, राजनाथ, रामावतार उपाध्याय, विजय कंवर, शारदा बिश्नोई आदि धरने को लेकर विभिन्न संगठन से अपील की। इसके अलावा 21 फरवरी से पहले 20 फरवरी को राजस्थानी मोटयार परिषद द्वारा एक विशाल वाहन रैली गोकुल सर्किल से रवाना होकर नत्थुसर गेट, बारह गुवाड़, तेलीवाड़ा, जोशीवाड़ा, कोटगेट, केईएम रोड होते हुए जुनागढ़ जाएगी। यह रैली दोपहर ढाई बजे रवाना होगी।

दूसरी ओर कागद संगर्ष समिति ने भी राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर मोटियार परिषद के साथ उतरेगी इसको लेकर राजस्थानी भाषा के लिए के लम्बे समय भाषा की मांग को हनुमानगढ़ की नोहर तहसील से साहित्यकार रास्त्रट्रीय कवि ओम पुरोहित कागद के द्वरा उठाओ गई ओर पूरे राजस्थान में एक जबरदस्त मायड़ के लिए आंदोलन की रणनीति बनाकर चलने अहाँन किया फिर इसको लेकर कागद जी अपने स्तर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी द्वरा राजसस्थानी भाषा के मुद्दे को लोकसभा में रखने का आह्वान किया लेकिन वाजयेपी साहब रखते उससे पहले सरकार गिर गईं और भाषा की मांग अटक गई फिर से कागद जी ने पूरे राजस्थान की यात्रा पर निकले और बोले म्हारी मायड़ बिना क्यारो राजस्थान पूरे प्रदेश में भाषा के आंदोलन को अपने स्तर पर उठाया जिसका में खुद दर्शक हु लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था एक काल ऐसा आया कि कागद जी अपनी ड्यूटी से घर लौट रहे थे बीच रास्ते मे एक्सीडेंट हो गया और अस्पताल लाये तब तक वो नही रह सके इस खबर का पता चलते ही भाषा प्रेमियों कवि साहित्यकार लेखकों सम्पादकों सभी को रक झटका लगा की आज राजस्थानी भाषा की लड़ाई की शुरुआत करने वाले कमांडो कागद का निधन हो गया सब स्तब्ध रह गए और हनुमागड में दुर्गा कलोनी में साहित्कारों राजस्थानी फिल्मों तारक मेहता टीवी सीरियल के लोढा साहब कुमार विस्वास जैसी तमाम हस्तिया वहां मौजूद थी और कागद जी को हनुमागड के तत्कालीन जिला कलेक्टर पी सी किशन साहब ने दण्डवत के रूप में श्रण्डजली दी और कागद जी के लिए एक मूर्ति लगे इसका भी पी सी किसन साहब द्वरा कहा गया ।

अब उसी भाषा के लिए एक बार फिर आंदोलन छेड़ा गया है जिसमे कागद संघर्ष समिति के सरक्षक भवानी आचार्य ने कहा हम भाषा के लिए कोई भी आंदोलन करेगा हम उनके साथ है हमारे पूर्वजों की मेहनत को पानी मे नही जाने देंगे भवानी आचार्य अब भाषा की लड़ाई आर पार की हॉगी इस प्रकार संगर्ष समिति के जिला अध्यक्ष केशव किराडू मयमन्त्री कमल स्वामी अनिल सुरेश राकेश सुखदेव सीह पुनीत इत्यादि सभी मौजूद रहे और 20 को वाहन रैली 21 को धरने में कागद सेना भी हॉगी साथ इसी के प्रदेश सरक्षक महिला मोर्चो से अंकिता पुरोहित बीकानेर से भारती पुरोहित इत्यादि में सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा लोग आए और इस भाषा के आंदोलन को सफल बनायें