बीकानेर।जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर के 8वें स्थापना दिवस पर जाम्भाणी साहित्य अकादमी एवं राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में ‘राजस्थानी भाषा व साहित्य में जाम्भाणी साहित्य का योगदान’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

अकादमी के प्रेस प्रभारी पृथ्वी सिंह बैनीवाल ने बताया कि मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान के उच्च शिक्षा मंत्री भँवर सिंह भाटी ने वेबिनार में शिरकत की। माननीय भँवर सिंह भाटी ने कहा जाम्भाणी साहित्य राजस्थानी साहित्य की आत्मा है। गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं आज के समय मे भी उतनी ही उपयोगी है जितनी 500 वर्ष पूर्व थी । इन शिक्षाओं के प्रचार प्रसार के लिये जाम्भाणी साहित्य सशक्त माध्यम है। आपने जाम्भाणी साहित्य अकादमी के कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की।

वेबिनार के अध्यक्ष मधु आचार्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राजस्थानी 12 करोड़ लोगों की भाषा है इसे संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिये। आपने जाम्भाणी साहित्य के प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर विशेष बल देते हुए कहा कि माय्यड भाषा मे रचित यह साहित्य अमूल्य रत्न है।

विशिष्ट अतिथि नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा का साहित्य बहुत समृद्ध है । इस समृद्ध परंपरा में जाम्भाणी कवियों का योगदान उल्लेखनीय है।

चूरू से वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार डॉ भँवर सिंह सामौर ने राजस्थानी भाषा और साहित्य की उत्पत्ति और विकास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जाम्भाणी साहित्य के बिना राजस्थानी का इतिहास अधूरा है। बीकानेर से डॉ मदन केवलिया ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जाम्भाणी साहित्य जीवन मूल्यों का साहित्य है। यह साहित्य जीवन जीने की राह दिखाता है।

पूर्व वरिष्ठ शोध अधिकारी डॉ कृष्णलाल बिश्नोई ने जाम्भाणी साहित्य की रूपरेखा, स्वरूप और महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विद्वानों को जाम्भाणी साहित्य के शोध की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। डॉ सुरेश सालवी, अध्यक्ष ,राजस्थानी विभाग , मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर ने जाम्भाणी साहित्य की पर्यावरण चेतना पर प्रकाश डालते हुए इसे पर्यावरणीय बोध का साहित्य बताया, जो आज के समय मे बहुत प्रासंगिक है। डॉ मीनाक्षी बोराणा ,अध्यक्ष ,राजस्थानी विभाग , जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ने राजस्थानी संत साहित्य के संदर्भ में जाम्भाणी साहित्य के महत्त्व को रेखांकित किया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में जाम्भाणी साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ इंद्रा बिश्नोई ने सभी का स्वागत किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ मनमोहन लटियाल व संदीप धारणिया ने किया ।ज़ूम प्लेटफॉर्म पर आयोजित इस बेबीनार मे देशभर के 2500 विद्वानों ने भाग लिया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों द्वारा जाम्भाणी साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित एयर कमोडोर राजेन्द्र सिंह बिश्नोई द्वारा लिखित पुस्तक ‘ए ब्लू प्रिंट फ़ॉर एनवायरमेंट’ और लघु पुस्तिका जुगति मुगति का लोकार्पण भी किया गया ।

जाम्भाणी साहित्य अकादमी के स्थापना दिवस की पूर्व रात्रि में गुरु जम्भेश्वर जी के भव्य जागरण का आयोजन किया गया जिसमें स्वामी सच्चिदानन्द जी आचार्य, स्वामी स्वरूपानन्द जी, मास्टर सहीराम जी, गायक रामस्वरूप जी खीचड़, श्री हनुमान धायल ने साखी, भजनों के माध्यम से गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। प्रातःकालीन वेला में यज्ञ का आयोजन कर विश्व मंगल की कामना की गई।

इस अवसर पर अकादमी संरक्षिका डॉ सरस्वती बिश्नोई, श्री देवेंद्र बिश्नोई आई पी एस , श्री राजाराम धारणिया, श्री मोहनलाल लोहमरोड, शरद केवलिया, आर के बिश्नोई, डॉ अनिला पुरोहित, डॉ बनवारीलाल साहू, श्री कृष्णलाल खीचड़, श्री हंसराज पटवारी, डॉ ओमप्रकाश भादू आदि अकादमी के पदाधिकारी उपस्थित थे। जाम्भाणी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानन्द जी आचार्य ने आयोजन मण्डल की ओर से धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।