बीकानेर, 17 फरवरी, । यूनेस्को ने हर साल 21 फरवरी को अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है ताकि मातृभाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दिया जा सके। विश्व में भाषायी एवं सांस्कृतिक परम्पराओं की प्रति पारस्परिक समझ, सहिष्णुता और एकजुटता को प्रेरित किया जा सके। मातृभाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम होती है। इसी के माध्यम से व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण, विकास और उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान बनती है । राजस्थान में राजस्थानी भाषा मान्यता के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर वर्ष 2003 में राजस्थान विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने के लिए संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भिजवाया हुआ हैं। राजस्थान में अनेक बोलियां बोली जाती है जिनका मिश्रित रूप ही राजस्थानी है। राजस्थान प्रदेश की मातृभाषा राजस्थानी है।
मातृभाषा का अर्थ ही है वह भाषा जिसे हम अपने परिवेश, स्थान, समूह में बोलते हुए बाल्यकाल से बड़े होकर दुनिया के सम्पर्क में आते है। अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी हमें हमारी मातृभाषा राजस्थानी की समृद्ध सांस्कृतिक शब्द विरासत और गौरवमयी परम्परा को याद दिलाने का दिन है। मातृभाषा मनाने का उद्देश्य है कि भाषा के अपनापन के जरिए हम परम्परा सद्भाव, सामुदायिकता की भावना को अपने भीतर बनाएं रखे। माननीय मुख्यमंत्री के संकल्प को अग्रेषित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने समस्त राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों / निजी विश्वविद्यालयों/समस्त काॅलेजों के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, 21 फरवरी, 2021 को रविवार का अवकाश होने के कारण दिनांक 20 फरवरी, 2021 को मनाये जाए। 20 फरवरी को आप अपने-अपने विश्वविद्यालयों में राजस्थानी भाषा से जुड़े विभिन्न आयोजन कर इस दिवस को समारोहपूर्वक मनायें। इसके तहत इस दिन विश्वविद्यालयों में मातृभाषा में वाद-विवाद, परिचर्चाएं, निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं आदि का आयोजन किया जाए।