– पंचायत राज सशक्तीकरण के लिए राजीव गाँधी ने किया अविस्मरणीय कार्य

बीकानेर, 03 अक्टूबर। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. मदन केवलिया ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न राजीव गाँधी ने पंचायत राज सशक्तीकरण के लिए अविस्मरणीय कार्य किया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई व सही अर्थों में सत्ता का विकेन्द्रीकरण हुआ।
डाॅ. केवलिया शनिवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से प्रतिमान संस्थान, सादुलगंज में आयोजित ‘पंचायत राज सशक्तीकरण अर राजीव गाँधी’ विषयक राजस्थानी संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजीव गाँधी का मानना था कि जब तक पंचायत राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक लोकतंत्र की जड़ें मजबूत नहीं होंगी। उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायत राज व्यवस्था के संबंध में पूरा प्रस्ताव तैयार करवाया। बाद में, उनका यह सपना, संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम 1992 के तहत साकार हुआ और 24 अप्रेल 1993 से यह अधिनियमित व प्रभावी हो गया। राजीव गाँधी चाहते थे कि स्थानीय निकाय भी स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बनें। डाॅ. केवलिया ने संस्मरण सुनाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को जब नागौर में सर्वप्रथम पंचायती राज प्रणाली का शुभारंभ किया था, तो वे भी इस कार्यक्रम के साक्षी रहे थे।
इस अवसर पर राजकीय डूंगर महाविद्यालय के सह आचार्य डाॅ. ऐजाज अहमद ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण स्थानीय स्वशासन प्रणाली की सूचक है। यह ग्रामीण विकास से संबंधित कार्य व उत्तरदायित्वों का निर्वहन करती है। 73 वें संशोधन अधिनियम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा मिला।

बीकानेर पापड़-भुजिया मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वेदप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि राजीव गाँधी ने पंचायत राज सशक्तीकरण के साथ-साथ कम्प्यूटर क्रांति, विज्ञान-प्रौद्योगिकी उन्नयन, शिक्षा, दूरसंचार क्रांति जैसे जन हितैषी कार्यों से देश का सर्वांगीण विकास किया। उन्होंने 18 वर्ष के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार बनाया।

एम.डी. डिग्री महाविद्यालय, बज्जू के प्राचार्य डाॅ. मिर्जा हैदर बेग ने कहा कि भारत रत्न राजीव गाँधी का मानना था कि यदि देश की वास्तविक प्रगति करनी हो, तो हमें अपनी समूची जनसंख्या की पूरी भागीदारी की जरूरत होगी। उन्होंने प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित की। 73 वें संशोधन अधिनियम के द्वारा महिलाओं के लिए पंचायतों में 33 प्रतिशत स्थान आरक्षित हुआ।
राजस्थानी भाषा अकादमी के सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम की महत्ता बताई।