बीकानेर /वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. मदन केवलिया ने कहा कि राजस्थानी साहित्य अत्यन्त समृद्ध है, इसमें हर विधा में उत्कृष्ट साहित्य लेखन किया जा रहा है।

डाॅ. केवलिया बुधवार को सूचना केन्द्र सभागार में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी तथा सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थानी भाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ‘राजस्थानी साहित्य-वर्तमान दशा’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी साहित्य किसी भी रूप में अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य से कम नहीं है। इसका अत्यन्त गौरवशाली इतिहास रहा है। राजस्थानी में कहानी, उपन्यास, कविता के साथ-साथ नाटक, रेखाचित्र, व्यंग्य, संस्मरण, आत्मकथा, रिपोर्ताज, अनुवाद आदि भी विपुल मात्रा में लिखे जा रहे हंै। वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने साहित्यकारों का आह्वान किया कि वे पूर्ण निष्ठा से राजस्थानी में सतत् लेखन करें, जिससे राजस्थानी साहित्य का उन्नयन हो सके। उन्होंने कहा कि युवाओं को राजस्थानी साहित्य एवं संस्कृति की जानकारी दी जाए। सरदार अली परिहार ने कहा कि मायड़ भाषा के विकास के लिए सजगता से प्रयास किए जाएं। उन्होंने राजस्थानी में लिखे छंद प्रस्तुत किए। डाॅ. शंकरलाल स्वामी ने राजस्थानी साहित्य के इतिहास की जानकारी दी। नरपतसिंह सांखला ने कहा कि राजस्थानी भाषा साहित्य के विकास में डाॅ. एल पी तैस्सीतोरी, मुरलीधर व्यास, कन्हैयालाल सेठिया ने अतुलनीय योगदान दिया।

संगोष्ठी में डाॅ. अजय जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को रोजगार से जोड़ा जाए, साथ ही इसमें विज्ञान, गणित, वाणिज्य आदि विषयों पर भी पुस्तकें लिखी जाएं। प्रमोद शर्मा ने राजस्थानी भाषा में रचनात्मक आंदोलन की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि रचनाकार को समय की नब्ज पहचाननी होगी। राजेन्द्र जोशी ने अधिकाधिक राजस्थानी उपन्यास लिखे जाने की आवश्यकता जताई। संजय पुरोहित ने कहा कि राज्य के निवासियों, साहित्यकारों द्वारा राजस्थानी का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। मोहन थानवी ने युवाओं को राजस्थानी साहित्य लेखन के लिए कहा। मोहम्मद फारूक ने कहा कि बीकानेर के राजस्थानी साहित्यकारों का पूरे देश में विशेष स्थान है। डाॅ. एजाज अहमद कादरी ने कहा कि राजस्थानी भाषा मान्यता हेतु सतत् प्रयास किए जाएं। डाॅ. मिर्जा हैदर बेग ने राजस्थानी में बाल साहित्य लेखन पर विशेष बल देने की आवश्यकता जताई। डाॅ. गौरीशंकर प्रजापत ने राजस्थानी भाषा मान्यता हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। डाॅ. नमामीशंकर आचार्य ने प्राथमिक शिक्षा से ही राजस्थानी भाषा लागू किए जाने की आवश्यकता जताई। जुगलकिशोर पुरोहित ने राजस्थानी गीत ‘मायड़ भाषा शान है, मारवाड़ री आण है’ प्रस्तुत किया। असद अली असद ने कहा कि युवाओं को मायड़ भाषा उत्थान के लिए प्रोत्साहित किया जाए। अरविंद उभा ने कहा कि राजस्थानी भाषा मान्यता हेतु समन्वित प्रयासों की जरूरत है। मुकेश विश्नोई ने कहा कि राज्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थानी भाषा, साहित्य, एवं संस्कृति संबंधी अधिकाधिक प्रश्न पूछे जाएं। अमन पुरी ने राजस्थानी भाषा अकादमी द्वारा किए जा रहे नवाचारों की जानकारी दी।

इससे पहले उपनिदेशक जनसंपर्क विकास हर्ष ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा विश्व मातृ भाषा दिवस को राजस्थानी भाषा दिवस के रूप में मनाए जाने के निर्णय से विद्यालय-महाविद्यालय के विद्यार्थियों को राजस्थानी भाषा के अध्ययन व लेखन हेतु प्रोत्साहन मिलेगा। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि ऐसे आयोजनों से युवाओं को राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति व इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। इस अवसर पर पुस्तकालयाध्यक्ष राजेन्द्र भार्गव, डाॅ. मनोज आचार्य, तेजकरण हर्ष, कानसिंह, मनोज मोदी, मोहित सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, विद्यालयों-महाविद्यालयों के विद्यार्थी उपस्थित थे।