निकाय चुनाव परिणाम को लेकर कांग्रेस में उत्साह व भाजपा खेमें में निराशा का माहौल ! राज्य में कांग्रेस सरकार की विफलताओं को भुनाने में भाजपा नाकामयाब रही
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राजस्थान में 49 निकायों के चुनाव परिणाम ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि अब राज्य में मोदी का जादू व भाजपा का असर, बेअसर हो रहा है।

वो भी उन परिस्थितियों में जब पिछले 11 महीनों में गहलोत सरकार की राज्य में कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। राजस्थान में भाजपा कांग्रेस की गहलोत सरकार की विफलताओं को इस चुनाव में भुनाने में नाकामयाब रही है। राज्य के निकाय चुनावों में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन को लेकर यह कहा जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस के सत्ता में होने की वजह से मतदाताओं ने कड़ी से कड़ी जोड़ने के लिए कांग्रेस को अपना समर्थन दिया, जबकि चर्चा तो यह भी है कि भाजपा इन दस-ग्यारह महीनों में राज्य में कहीं भी अच्छे से विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पाई, उसकी आमजन में पकड़ ढ़ीली पड़ गई। लोग तो यहां तक कह रहे हैं भाजपा को वसुंधरा राजे को निकाय चुनाव से दूर रखना भारी पड़ा, लोगों का कहना है कि वसुंधरा के बिना राजस्थान में अधूरी है भाजपा ! खैर जो भी हो हाल ही में लोकसभा चुनावों के दौरान शानदार प्रदर्शन कर चुकी भाजपा इतनी जल्दी हाशिये पर आ जायेगी ऐसी उम्मीद नहीं थी।

उल्लेखनीय है कि राज्य के 49 निकायों के 2105 वार्डों के चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने 973 वार्डों व भाजपा ने 737 वार्डों में जीत दर्ज की है जबकि 395 वार्डो में निर्दलीय व अन्य ने जीत हासिल की है। चुनाव परिणामों की स्थिति के अनुरूप 49 में से 20 निकायों में कांग्रेस व 8 निकायों में भाजपा के बोर्ड बनाने की संभावना व्यक्त की जा रही है वहीं 23 निकायों में निर्दलीयों के हावी होने की वजह से उनके सहयोग के बिना बोर्ड बनना मुमकिन नजर नहीं आ रहा। निकाय चुनावों के परिणाम के बाद कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है वहीं भाजपा के खेमें में निराशा झलक रही है। गौरतलब है कि निकाय चुनावों से पहले जीत-हार के लिए तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लोगों को कांग्रेस के इतने अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि पिछले एक साल के गहलोत सरकार के कार्यकाल की एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है जिसे देखकर कहा जा सके कि कांग्रेस को आमजन का इतना अच्छा समर्थन मिलेगा। राज्य में विकास के नाम पर कहीं भी लोगों को राहत नहीं है, लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। महंगाई आसमां छू रही है लोगों के काम नहीं हो रहे, चारों ओर जबरदस्त भ्रष्टाचार का बोलबाला है इसके बावजूद कांग्रेस का शानदार प्रदर्शन लोगों की समझ के परे है। राज्य में टोल फिर से शुरू होने का भी असर इस चुनाव में कहीं दिखाई नहीं दिया। इन निकाय चुनावों में भाजपा इस कदर पिछड़ेगी उम्मीद नहीं थी, यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है। भाजपा को अपनी कमजोरी को दूर करने के लिए जतन करने चाहिए वरना निकट भविष्य में होने वाले पंचायत व निकाय चुनावों में भी यही स्थिति रहने वाली है।

भाजपा को केवल मोदी के जादू के भरोसे ही नहीं बैठना चाहिए उसे लोगों से जुड़े रहना पड़ेगा, लोगों के दुख-दर्द में शरीक होकर उन्हें राहत दिलाने की मशक्कत करनी पड़ेगी। भाजपा के लिए यह चुनाव परिणाम एक सबक है उसे इससे सबक लेते अपनी कमजोरी दूर करनी ही पड़ेगी, तभी निकट भविष्य के चुनावों में वह बेहतर प्रदर्शन कर पायेगी। हालांकि अजमेर जिले सहित कुछ अन्य स्थानों पर भाजपा ने इन विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है, जो स्थानीय नेतृत्व की काबिलियत का परिणाम कहा जा सकता है। अजमेर जिले की ब्यावर व पुष्कर में भाजपा बोर्ड बनाने जा रही है वहीं नसीराबाद में बहुमत के आधार पर बोर्ड बनाने की स्थिति में है। यहां भाजपा के जिलाध्यक्ष बी.पी. सारस्वत की रणनीति कारगर साबित हुई, वहीं ब्यावर में पूर्व विधायक देवी शंकर भूतड़ा ने फिर से यह बता दिया कि उनका ब्यावर के मतदाताओं में कितना प्रभाव है, इसी प्रकार पुष्कर में भी भाजपाइयों ने अपना दबदबा कायम रखा है, नसीराबाद में भी भाजपा विधायक रामस्वरूप लाम्बा अपनी ताकत दिखाने में सफल रहे। अजमेर जिले में कांग्रेस ने भी खूब मेहनत की है मगर उसे अपेक्षित परिणामों से वंचित रहना पड़ा, इसके भी बहुत कारण हैं।

कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने जी तोड़ मेहनत की मगर वे अकेले कहा-कहा दौड़ लगाते जिले के प्रभारी मंत्री प्रमोद भाया व गृहजिले के मंत्री डॉ रघु शर्मा ओवर कॉन्फिडेंस में ही रह गए और देखते ही देखते उनके नीचे से जमीन खिसक गई। हालांकि कांग्रेस अजमेर जिले की हार सहित अन्य स्थानों पर खराब प्रदर्शन की समीक्षा कर रही है। आलाकमान तक यह बात पहुंच चुकी है, वह उन मंत्रियों से जिनके गृह व प्रभार जिलों में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन रहा है उनसे सवाल-जवाब कर सकती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निकाय चुनाव के नतीजों को उनकी सरकार के काम पर जनादेश बताया है। निकाय चुनावों के नतीजों के पर सीएम अशोक गहलोत ने खुशी जाहिर की है। सीएम गहलोत ने कहा कि जो कांग्रेस मुक्त भारत की बात करेंगे वह खुद मुक्त हो जाएंगे। यही उम्मीद थी, अपेक्षा भी यही थी। पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने भी इस शानदार जीत पर खुशी जाहिर करते हुए इसे जनता का कांग्रेस में विश्वास बताया है। इधर भाजपा की ओर से किसी बड़े नेता की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, भाजपा खेमें में निराशा छाई हुई है। जहां भाजपा ने जीत दर्ज की है वहां जरूर उत्साह का माहौल है। कुल मिलाकर निकाय चुनाव के परिणाम भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं हैं, उसे अपनी गिरेबां में झांकते हुए आमजन के दिल जीतने के प्रयास अभी से शुरू करने होंगे तब जाकर अगले चुनावों में कुछ राहत मिल सकती है। अगर अब भी भाजपा केवल मोदी मैजिक के भरोसे रही तो उसके वजूद पर भी खतरे के बादल मंडराने लगेंगे और उसे इससे भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है !