बीकानेर, 13 दिसम्बर । दुनिया की आधी आबादी कहा जाने वाला महिला वर्ग काफी हद तक उपेक्षित रहता है। महिलाओं की सुरक्षा व स्वास्थ्य काफी हद तक खतरे में है, ऐसे में समाज के शिक्षित वर्ग की जिम्मेदारी बनती है कि समाज के लोगों को इस बारे में जागरुक करें। इसी का बीड़ा उठाते हुए राजस्थान में बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की बीकानेर ऑब्सट्रेटिक्स एण्ड गॉयनिकोलॉजिकल सोसायटी द्वारा राज्य स्तरीय कांफ्रेंस ‘सेफ मदरहूड’ नामक दो दिवसीय यहां 14 दिसम्बर से आयोजित की जा रही है।

शुक्रवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुवे बताया सम्मेलन में कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. एच.एस.कुमार, विभागाध्यक्ष व कांफ्रेंस की अध्यक्षा डॉ. सुदेश अग्रवाल, डॉ. रंजन माथुर, डॉ. दीप्ति वाहल, डॉ. स्वाति कोचर ने संयुक्त रुप से पत्रकारों को बताया कि कांफ्रेंस में स्त्री रोग, बांझपन के नवीनतम अनुसंधानों एवं आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के जरिए इन रोगों के उपचार पर विचार-विमर्श किया जाएगा जो कि स्त्री रोग व प्रसूति विशिष्ठता के चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद होगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षित मातृत्व, कृत्रिम गर्भाधान एवं दूरबीन से ऑपरेशन की पद्धतियों पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। डॉ. सुदेश ने यह भी बताया कि पहले सत्र में मातृत्व मृत्यु दर को कम करने की चुनौतियों के बारे में बात की जाएगी।

इतनी ऊंची मृत्यु दर का मुख्य कारण है प्रसव पश्चात् होने वाला अत्यधिक रक्त स्त्राव जो कि जानलेवा साबित होता है, यदि महिला को उचित समय पर उचित उपचार ना मिले। प्रसव पश्चात् अत्यधिक रक्त स्त्राव यानी पी.पी.एच. को रोकने के लिए जरुरी टीम प्रबंधन के बारे में बताया जाएगा कि किस प्रकार चिकित्सक, नर्स इत्यादि एक टीम की तरह काम करके इसे रोक सकते हैं। उन्होंने बताया कि पी.पी.एच. को रोकने के लिए नई-नई दवाईयों की खोज की जा रही है जो रक्त स्त्राव को नियंत्रित कर सकती है। दवाईयों के विफल होने पर शल्यक्रिया का सहारा लिया जा सकता है। डॉ. सुदेश ने यह भी बताया कि एओरटिक कॉम्प्रेशन, बीकाना बलून जैसी कई डिवाईस काम में ली जाती है और जानलेवा पी.पी.एच. को रोका जा सकता है। इसके अलावा अनुभवी व ख्याति प्राप्त चिकित्सक एक्लेमशियां यानी गर्भावस्था में रक्तचाप बढऩे पर होने वाली बीमारी जिसके कारण प्रतिवर्ष हमें कितने शिशु और मां की जान से हाथ धोना पड़ता है उस पर भी चर्चा करेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस कांफ्रेंस से महिलाओं की जटिल बीमारियों के उपचार में काफी सुधार होगा और सुरक्षित मातृत्व की ओर देश अग्रसर होगा।