– गिरोह के पकड़े गए पांच लोगों की निशानदेही पर हुई कार्रवाई
चंडीगढ़। पंजाब की लुधियाना पुलिस ने जयपुर के मयूर विहार इलाके में स्थित एक गोदाम में छापा मारकर छह करोड़ की नशीली दवाएं बरामद की हैं। जयपुर में छापा मारने गई टीम की अगुवाई एडीसीपी-2 जसकिरण जीत सिंह तेजा और एसीपी साउथ जश्नदीप सिंह गिल कर रहे थे। इन्हीं की अगुवाई में अदालत से सर्च वारंट लेने के बाद ही पूरी कार्रवाई की गई। पुलिस उक्त दवाएं ट्रक में लोड कर लुधियाना लाई है। यह जानकारी पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल ने पुलिस लाइन में आयोजित प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने कहा कि यह दूसरी बड़ी खेप है। इससे पहले भी एक खेप बरामद की जा चुकी है। पुलिस अब इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है। पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल ने बताया कि थाना डेहलों की पुलिस ने रंजीत सिंह और दमनप्रीत सिंह को सितंबर में गिरफ्तार किया था। आरोपियों के कब्जे से पुुलिस ने 22 हजार नशीली गोलियां बरामद की थी। पूछताछ में पता चला कि उनके तार जयपुर से जुुड़े हैं। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के आधार पर अलवर (राजस्थान) के रहने वाले अर्जुन देव और गुलशन कुमार को नामजद कर गिरफ्तार कर लिया था। आरोपियों से पूछताछ के आधार पर किंगपिन प्रेम रतन को नामजद कर उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया।

– प्रेम रतन की निशानदेही पर पहले भी बरामद हो चुकी है बड़ी खेप
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आरोपी प्रेम रतन ने बताया कि उसके पास तीन खेप आई थी। इनमें से पहले ही दो पकड़ी जा चुकी हैं। तीसरी कंसाइनमेंट राजस्थान के जयपुर स्थित नंगल जैसबोरा जोटवाड़ा के रहने वाले वरिंदर सिंह उर्फ रिंकू ने मयूर विहार इलाके में किराए के गोदाम में रखी है। इसी घर के बेसमेंट में और भी नशीली दवाएं पड़ी हैं। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए रिंकू को नामजद किया। अदालत से सर्च वारंट लेने के बाद एडीसीपी जसकिरण सिंह तेजा और एसीपी जश्नदीप सिंह गिल की अगुवाई में जयपुर से छह करोड़ की दस लाख बीस हजार नशीली गोलियां, 76920 नशीली दवा की शीशियां और 14,400 इंजेक्शन बरामद हुए। वहां से साढ़े 34 लाख रुपये की दूसरी दवाएं भी मिली थीं।

– इस तरह करते थे सप्लाई का काम
_पुलिस के अनुसार प्रेम रतन नशीली दवाएं बनाने वाली फैक्टरी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिल जाली बिल पर माल मंगवाता था। उसके बाद अपने नौकर वरिंदर सिंह उर्फ रिंकू के साथ मिल उन्हें जयपुर में किराए पर लिए गोदाम में छिपाकर रख देता था। इसके बाद जयपुर मेडिकल एसोसिएशन में रजिस्टर्ड डॉक्टर (एमबीएस, बीडीएस) के नाम पर 50 हजार रुपये कीमत से कम के जाली बिल काटकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और अन्य राज्यों में भेज दी जाती थी।