श्री गणेशाय नमः

– लोहड़ी कब है

– 13, जनवरी, (बुधवार)

पं. रविन्द्र शास्त्री लेख

लोह़ड़ी पर्व आनंद और खुशियों का प्रतीक है। यह त्यौहार शरद ऋतु के अंत में मनाया जाता है। इसके बाद से ही दिन बड़े होने लगते हैं। मूलरूप से यह पह पर्व सिखों द्वारा पंजाब, हरियाणा में मनाया जाता है, परंतु लोकप्रियता के चलते यह भारत में नहीं बल्कि विश्वभर में मनाया जाने वाला उत्सव है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बड़े हर्षोल्लास पर्व की बधाई देते हैं।

– लोहड़ी पर्व का मुख्य उद्देश्य
विक्रम संवत् एवं मकर संक्रांति से जोड़ा गया है। पंजाब क्षेत्र में इस त्यौहार (माघी संग्रांद) को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से शरद ऋतु के समापन पर इस त्यौहार को मनाने का प्रचलन है। साथ ही यह त्यौहार किसानों के लिए आर्थिक रूप से नूतन वर्ष माना जाता है।
रीति-रिवाज
जैसा कि हमने बताया कि लोहड़ी पंजाब एवं हरियाणा राज्य का प्रसिद्ध त्यौहार है, लेकिन इसके बावदू भी इस पर्व की लोक्रप्रियता का दायरा इतना बड़ा है कि अब इसे देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। किसान वर्ग इस मौक़े पर अपने ईश्वर का आभार प्रकट करते हैं, ताकि उनकी फसल का अधिक मात्रा में उत्पादन हो।

● उत्सव के दौरान बच्चे घर-घर जाकर लोक गीत गाते हैं और लोगों द्वारा उन्हें मिष्ठान और पैसे भी दिए जाते हैं
● ऐसा माना जाता है कि बच्चों को खाली हाथ लौटाना सही नहीं माना जाता है, इसलिए उन्हें इस दिन चीनी, गजक, गुड़, मूँगफली एवं मक्का आदि भी दिया जाता है जिसे लोहड़ी भी कहा जाता है।
● फिर लोग आग जलाकर लोहड़ी को सभी में वितरित करते हैं और साथ में संगीत आदि के साथ त्यौहार का लुत्फ़ उठाते हैं।
● रात में सरसों का साग और मक्के की रोटी के साथ खीर जैसे सांस्कृतिक भोजन को खाकर लोहड़ी की रात का आनंद लिया जाता है।
● पंजाब के कुछ भाग में इस दिन पतंगें भी उड़ाने का प्रचलन है।

लोहड़ी गीत एवं इसका महत्व
लोहड़ी में गीतों का बड़ा महत्व है। इससे लोगों के ज़ेहन में एक नई ऊर्जा एवं ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। इसके अलावा गीत के साथ नृत्य करके इस पर्व को मनाया जाता है। मूलरूप से इन सांस्कृतिक लोक गीतों में ख़ुशहाल फसलों आदि के बारे में वर्णन होता है। गीत के द्वारा पंजाबी योद्धा दुल्ला भाटी को भी याद किया जाता है। आग के आसपास लोग ढ़ोल की ताल पर गिद्दा एवं भांगड़ा करके इस त्यौहार का खुशी मनाते हैं।

— दुल्ला भट्टी
कई वर्षों से लोग लोहड़ी पर्व को दूल्ला भट्टी नामक चरित्र से जोड़ते हैं। लोहड़ी के कई गीतों में इनके नाम आता है। कहते हैं कि मुगल राजा अकबर के काल में दुल्ला भट्टी नामक एक लुटेरा पंजाब में रहता था जो न केवल धनी लोगों को लूटता था, बल्कि वह उन ग़रीब पंजाबी लड़कियों को बचाता था जो बाज़ार में बल पूर्वक बेची जाती थीं, लिहाज़ा आज के दौर में लोग उसे पंजाब का रॉबिन हुड कहते हैं।

–भारत के अन्य भाग में लोहड़ी
आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व भोगी मनाया जाता है। इस दिन लोग पुरानी चीज़ों को बदलते हैं। वहीं आग जलाने के लिए लकड़ी, पुराना फ़र्नीचर आदि का भी इस्तेमाल करते हैं। इसमें धातु की चीज़ों को दहन नहीं किया जाता है। रुद्र ज्ञान के अनुसार इस क्रिया के तहत लोग अपने सभी बुरे व्यसनों का त्याग करते हैं। इसे रुद्र गीता ज्ञान यज्ञ भी कहते हैं। यह आत्मा के बदलाव एवं उसके शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है।

– लोहड़ी पर तिल से बने पकवान?

“लोहड़ी” पंजाब का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन किसान धान (चावल) के उत्पादन के बाद प्रकृति को धन्यवाद देते हैं, जिसे लोहड़ी का नाम दिया गया। लोहड़ी के दिन शाम के समय लोग ढोल-ताशों के साथ भांगड़ा-गिद्धा करते हैं, और आग के चारों ओर नाच गाकर इस दिन को खास बनाते हैं। इस त्यौहार पर लोग एक-दूसरे को रेवड़ियां और मूंगफली खास तौर पर बांटते हैं, और अपने दोस्‍तों और रिश्तेदारों को इस मौके पर शुभकामनाएं देते हैं।

हर साल लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले शाम को धूमधाम से मनाते हैं। जानकारी के लिए बता दें मकर संक्रांति और लोहड़ी पर तिल से बने पकवानों को बनाते और खाते हैं। इस दिन तिल के लड्डू से लेकर तिल गुड़ वाली रेवड़ी और गजक बांटा जाता है। साथ ही परिवार और दोस्तों के साथ मिल बांटकर खाते हैं।

– बीपी की समस्या को करता है दूर
बता दें तिल स्वाद के साथ सेहत के लिए भी लाभकारी होती है। अगर आप तिल को अपने हर दिन डाइट में शामिल करते हैं तो आप हाई ब्लडप्रेशर जैसी समस्या से दूर हो सकते है। हाई बीपी वालों ही नहीं अगर आप डायबिटीज के मरीज है तो भी तिल आपके लिए बेहद फ़ायदेमंद है। इसका कारण है तिल में फाइबर और मैग्नीशियम होती है जो कि इंसुलिन और ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है। साथ ही तिल खाने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित होता है।

– गुणों से हैं भरपूर
कई तरह के गुणों से भरपूर ये तिल आपकी कई बीमारियों को दूर करता है। अगर आपके मसूड़ों में परेशानी है तो ये आपके मसूड़ों के लिए भी फ़ायदेमंद है। मसूड़ों के सभी तरह की समस्या को आप तिल से दूर कर सकते है। इसके अलावा आपने देखा होगा कि अक्सर लोगों को पाचन की समस्या होती हैं। तिल पाचन की परेशानी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। बता दें तिल खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। साथ ही कब्ज की समस्या को भी तिल खत्म कर देता है।

– सेहत के साथ सुंदरता को चाबी है तिल
हमारे ऊपर के लेख में आपने तिल की सेहत से जुड़े फ़ायदों के बारे में पढ़ा है लेकिन क्या आप जानते हैं तिल सेहत के साथ आपकी सुंदरता को भी निखारता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तिल एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सिडेटं होता है जो आपके चेहरे को अंदर से निखारता है। आमतौर पर होने वाली पिंपल्स, चेहरे पर झुर्रियों की समस्या को भी दूर करता है।

हालांकि तिल को बहुत ज्यादा खाने से भी नुकसान हो सकता है। अगर आपको लो बीपी की शिकायत रहती है तो आप तिल कम खाएं, नहीं तो परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। बता दें ज्यादा तिल खाने से डायरियाँ की समस्या हो सकती है। कहते हैं तिल में तेल की मात्रा ज्यादा होती है जिसके सेवन से हमारे शरीर में प्रयाप्त मात्रा में तेल पहुंचता है जो हमारे शरीर गर्माहट देता है।

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