-राजस्थान लोक सेवा आयोग ने निरस्त किया बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट से अप्रूव्ड पैनल
खबर का असर
हरीश गुप्ता
जयपुर। डॉ भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय को प्रशासनिक क्षमताओं के चलते एक और झटका मिल गया है। इस बार झटका राजस्थान लोक सेवा आयोग ने विवि के बाॅम से अप्रूव्ड भर्ती के पैनल को निरस्त कर दिया है। इस करारे झटके के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं रोजगार की आस लगाए बैठे बेरोजगारों के सपने एक बार को चूर हो गए हैं।
गौरतलब है हमने ने 16 फरवरी के अंक में ‘गलती छोटी, बेरोजगारों पर भारी’ शीर्षक से एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार में बताया गया था कि डॉ भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय ने टीचिंग स्टाफ सहित कई पदों की भर्ती के लिए 4 जनों का पैनल स्वीकृति के लिए आरपीएससी भेजा है, उसे बाॅम से अप्रूव्ड करवा कर भेज दिया।

सूत्रों ने बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से हाल ही में वह पैनल निरस्त कर दिया गया। उसके पीछे तर्क दिया गया है कि पैनल एकेडमिक काउंसिल से अप्रूव्ड होना चाहिए था। वैसे भी राजस्थान विश्वविद्यालय का अधिनियम 1974 में स्पष्ट है, पैनल एकेडमिक काउंसिल से ही एप्रूव्ड होना चाहिए। वहीं विधि विश्वविद्यालय ने पैनल बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट से अप्रूव्ड करा कर आरपीएससी भेजा था। कारण यह भी है कि डॉ भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में वर्तमान में एकेडमिक काउंसिल का गठन हुआ ही नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की छोटी सी गलती का खामियाजा और कोई नहीं बेरोजगार भुगतेंगे। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन पूरे सिस्टम से चलता तो बेरोजगारों के अच्छे दिन अभी तक आ चुके होते। अब अच्छे दिन आने में समय और लग सकता है।

सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय को अभी तक बार काउंसिल से मान्यता नहीं मिली है। जब मान्यता नहीं मिली तो शिक्षक भर्ती में ऐसी जल्दी क्या है? जब तक बार काउंसिल की मान्यता नहीं आती तब तक एकेडमी कार्य के लिए एकेडमिक स्टाफ की भर्ती की जा सकती थी। वैसे भी उसके लिए कोई पैनल की जरूरत भी नहीं है। राज्य के लाॅ कॉलेजों की संबद्धता का कार्य टीचर करेंगे या एकेडमिक स्टाफ?
जानकारी के मुताबिक इस घटना के बाद राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘एक-एक करके यह चूक इस विधि विश्वविद्यालय में इसलिए हो रही है क्योंकि इस विश्वविद्यालय के वीसी विधि विषय से नहीं है।’