बीकानेर, 14 अक्टूबर। जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने कहा कि मन के हारे-हार है, मन के जीते- जीत । यह साधारण सी कहावत अपने भीतर असारण पैगाम यानी संदेश लिए हुए है। यह इंसान के मनोबल के महत्व को बताती है। अपनी मंजिल पर पहुंचने से पहले अगर हम हार मान ले रहे हैं, तो हम सचमुच हार गए।

बाल दिवस पर महारानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के सभागार में गुरूवार को आयोजित बाल सभा और समग्र शिक्षा की ओर से आई.सी.टी. माॅड्यूल के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। जिला कलक्टर ने नवाचार करते हुए जिले में संचालित आईसीटी लैब के कुशल व प्रभावी संचालन में मार्ग दर्शन हेतु विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए आईसीटी माॅड्यूल लौंच किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग टेक्नोलॉजी का युग है। इसलिए हमें कंप्यूटर एवं टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी होनी चाहिए। सभी विद्यार्थियों को कंप्यूटर को संचालित करना आना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने भावी जीवन एवं जीवन के लक्ष्यों के बारे में चर्चा की तथा बताया कि आपको सफल होने के लिए अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए ।

जिला कलक्टर ने कहा कि यदि एक बार आपने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया तो उसे प्राप्त करने के लिए अपना सर्वस्व लगा देना चाहिए। उन्हांेने ने कहा कि अपनी मंजिल पर पहुंचने से पहले अगर हम हार मान ले रहे हैं, तो हम सचमुच हार गए। लेकिन अपनी मंजिल के लिए जब जूझते हैं, बार-बार गिर कर खड़े होते हैं तो हमारा आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। इसके बाद जब मंजिल मिलती है, तो उसकी खुशी कई गुना होती है। इसलिए आपकी जीत या हार को कोई और तय नहीं कर सकता है। यह खुद आपके ऊपर निर्भर करता है।

उन्होेंने कहा कि कुछ छात्र व लोग इतने संवेदनशील होते हैं कि अगर उनका उत्साह टूट जाए तो वे हिम्मत हार जाते हैं। यह पोर्टल आपको निराशा से उभारेगा। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में पढ़ाई, अच्छे अंग प्राप्त करने का प्रेसर रहता है। जो जितना प्रेसर सहन करेगा, वह उतना ही ज्यादा सफल होगा। उन्होंने जमीन के अंदर कोयला बनने और हीरा बनने की प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए कहा कि कम दबाव सहन के कारण जीवाष्म कोयला बनता और जो ज्यादा प्रेसर सहन करता है, वह हीरा बनता है। आप को वितरित परिस्थितियों को सहन करते हुए हीरा बनना है।
जिला कलक्टर ने कहा कि किसी एक क्षेत्र में मिली हार के बाद कुछ लोग प्रयत्न करना ही बंद कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि योग्यता होने के बावजूद वह औसत या उससे भी निचले दर्जे के व्यक्ति बनकर रह जाते हैं। लोग यह भूल जाते हैं कि जीवन किसी एक की सफलता पर आधारित नहीं, वह तो निरंतर श्रम और प्रयत्न पर निर्भर है। इसलिए हमें कभी भी अपनी परिस्थितियों के आगे घुटने नही टेकने चाहिए बल्कि उनका डट कर मुकाबला करना चाहिए और हिम्मत और धैर्य से काम लेना चाहिए। हमें अपने पर विश्वास रखना चाहिए और धैर्यपूर्वक सही दिशा में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। यह विद्यार्थी जीवन का मूल मंत्र है। ऐसा करने से हमें सफलता निश्चित ही मिलेगी, इसे कोई रोक नहीं सकता।.उन्होंने विद्यालय में क्प्यूटर लैब और व्यवसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के तहत ब्यूटिशियन कक्षा का भी अवलोकन किया।

कार्यक्रम में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी राजकुमार शर्मा, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक हेतराम सारण, सहायक परियोजना समन्वयक कैलाश बडगूजर विद्यालय की संस्था प्रधान श्रीमती सुमन आर्य ,कार्यक्रम अधिकारी महेंद्र सिंह पोटलिया , प्रभारी उमर फारुख ने भाग लिया । मॉड्यूल का निर्माण जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम एवं आईएएस अभिषेक सुराना के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक के निर्देशन में आईसीटी प्रभारी उमर फारुख एवं उनकी टीम द्वारा किया गया।