– शिक्षा, अनुसंधान व प्रसार के क्षेत्र में होगे नवाचार

बीकानेर ( ओम एक्सप्रेस )। वेटरनरी विश्वविद्यालय के योजना मण्डल की प्रथम बैठक मंगलवार को कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में योजना मण्डल के प्रमुख सदस्य राजुवास के संस्थापक एवं पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत, प्रो. ए.सी. वार्ष्णेय, पूर्व कुलपति, उ.प्र. पंडित दीन दयाल उपाध्याय, पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान (दुवासु), मथुरा, प्रो. आर.के. सिंह, पूर्व निदेशक एवं कुलपति आई.वी.आर.आई. इज्जतनगर, बरेली एवं डॉ. उमेश शर्मा पूर्व संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार ने शिरकत की। बैठक के प्रारम्भ में कुलपति गर्ग ने सभी सदस्यों का स्वागत किया एवं विश्वविद्यालय की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। कुलपति प्रो. गर्ग ने कहा कि विश्वविद्यालय में योजना मण्डल के गठन से विश्वविद्यालय को शिक्षण, अनुसंधान एवं शोध कार्यों के सुचारू संचालन एवं सुद्धढ़ीकरण को नये आयाम मिलेंगे। विश्वविद्यालय ने अल्प समय में अपने कार्यक्षेत्र को बहुत व्यापक किया है। जिसमें राज्य सरकार का पूरा सहयोग रहा है। विश्वविद्यालय को पशुपालकों, किसानों एवं छात्रों के हितों को ध्यान रखते हुए भविष्य की कार्य योजना बनाकर सुनियोजित तरीके से गतिविधियों को अंजाम देना होगा ताकि इन क्षेत्रों में प्रगति हासिल हो सके।

बैठक में योजना मण्डल के माननीय सदस्यों ने विभिन्न अपोषित संस्थाओं के द्वारा नये परियोजनाओं के माध्यम से विश्वविद्यालय के सुद्धढ़ीकरण, छात्रों के रोजगार सृजन हेतु उद्यमिता के विभिन्न क्षैत्रों को बढ़ावा देने, विभिन्न संस्थाओं से आपसी करार को क्रियाशील मोड पर लाने, पशुओं के विभिन्न रोगों की रोकथाम हेतु डायग्नोस्टिक किट विकसित करनेे, पशुउत्पादों का मूल्यसंवर्द्धन करने, छात्र कल्याण हेतु र्स्पाेटस एवं साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, पशुओं के आपात स्थिति में ईलाज हेतु क्रिटिकल केयर एवं ट्रोमा सेन्टर विकसित करने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये। बैठक के दौरान प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रकाशित पशुपालन नये आयाम मासिक पत्रिका के नये अंक का विमोचन भी किया गया। बैठक के अन्त में कुलसचिव अजीत सिंह राजावत ने सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक डॉ. प्रताप सिंह पूनिया सहित विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर, पशु अनुसंधान केन्द्रों के मुख्य अन्वेषक एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।