सूरतगढ़। विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के वार्ड में भर्ती मरीजों को वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि अस्थमा एक दीर्घकालिक श्वसन प्रणाली है, जिसमें मानव प्रणाली के वायुमार्ग अप्रत्यााशित रूप से अचानक संकीर्ण हो जाते है। अक्सर प्रदूषण, धूम्रपान, एलर्जी, तनाव और जेनेटिक कारणों से अस्थमा होता है।

डाॅ. सिंह ने बताया कि अस्थमा के सामान्य लक्ष्णों में मौसम में बदलाव के कारण सांस लेने में दिक्कत, प्रदूषण बढ़ने पर खांसी आना, श्वास लेने के दौरान सीटी की तरह आवाज आना आदि है। अस्थमा मरीजों को इनहेलर पम्प ही लेने चाहिए। जिससे जल्दी आराम मिल सके।
इस अवसर पर चिकित्सा अधिकारी डाॅ. पंकज सोनी ने बताया कि अस्थमा को लेकर लोगों के मन में बहुत प्रकार की भ्रांतिया है जिससे लोग अस्थमा का ईलाज पूरा करने से पहले ही छोड़ देते है और दवाई भी लेनी बंद कर देते है जो बाद में उनके लिए बहुत नुकसानदायक साबित होती है।
इस मौके पर एनसीडी काउन्सलर दीपक शर्मा ने मरीजों को जागरूक करते हुए कहा कि अस्थमा के मरीजों को धूल, मिट्टी से बचना चाहिए। हमेशा साफ सफाई वाले स्थान में रहना चाहिए व मास्क का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। ज्यादा खांसी होना, छाती में दर्द होना, सांस लेने में दिक्कत होने पर तुरन्त चिकित्सालय में इलाज करवाना चाहिए।