बीकानेर। विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संगोष्ठी आयोजित की गई और रेबीज के टीके के अविष्कारक लुई पाश्चर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सीएमएचओ डॉ बी.एल. मीणा ने बताया कि रेबीज से बचाव के लिए टीकाकरण वरदान सिद्ध हुआ है चाहे वह कुत्तों का टीकाकरण हो या काटने के बाद इंसानों का। यह पशुओं और विशेषकर कुत्तों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस जनित रोग है। रेबीज से बचाव के लिए अपने कुत्ते का टीकाकरण कराएं। कुत्ते के काटने से बचें। बच्चों को सिखाएं कि यदि कोई जानवर उन्हें कटता या खरोंच मारता है, तो वे ये बात उन्हें (अभिभावक/माता-पिता को) बताएं। घाव को तुरंत दस मिनट तक धोएं और टीकाकरण के बारे में अपने चिकित्सक से परामर्श करें। राज्य सरकार द्वारा रेबीज का टीका निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है।

डिप्टी सीएमएचओ डॉ इंदिरा प्रभाकर ने जानकारी दी कि विश्व रेबीज दिवस वर्ष 2020 का विषय “एंड रैबीज: सहयोग, टीकाकरण” है। यह विषय रेबीज रोकने के लिए सभी के सहयोग, शिक्षा और जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डालता है, साथ ही टीकाकरण को सुदृढ़ बनाने पर जोर देता है। कोई भी व्यक्ति अलग-अलग स्तरों पर रेबीज की जानकारी साझा कर सकता है जैसे कि नीति-स्तर पर वर्ष 2030 तक रेबीज से शून्य मानव मृत्यु का लक्ष्य प्राप्त करना है। रेबीज के मामले में जब तक इसके लक्षण शुरू होते हैं, तब तक यह हमेशा घातक होता है, लेकिन यह पूरी तरह से रोकथाम योग्य है। इसके बावजूद भारत में रेबीज एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे प्रतिवर्ष अनुमानित 20,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप को छोड़कर सारे देश में स्थानिक है। इस अवसर पर डॉ विवेक गोस्वामी, डॉ अमित गोठवाल सहित चिकित्सक एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित हुए।