देवकिशन राजपुरोहित
रंग बिरंगी पोशाकों में बाराती हसी ठिठोली करते मस्ती में चल रहे थे।बैंड पर धुन बज रही थी भूतनी के तेनू दूल्हा किसने बनाया।छोटे छोटे बच्चे नाच रहे थे।कुछ महिलाएं भी नाच रही थी।बारात थम सी गई थी।दूल्हे पर नोटों की निछरावल याने बौछार हो रही थी।शादी का स्थान आनेवाला था।दूल्हा प्रसन्नता पूर्वक घोड़ी पर बैठा था और उसके मन मस्तिष्क में कुछ आने वाले पलों के विषय में मंथन चल रहा था।कोई बाराती बैंड वालों को चलने की ताकीद कर रहा था।
समय आठ बज रहा था।शादी का मुहूर्त नो बजे रखा था पंडित ने।मगर बारात मन्दगति से चल रही थी।
आखिर तोरण द्वार आ गया।दूल्हे ने अपनी तलवार से तोरण मारा और घोड़ी की पीठ से उतर गया।उसकी सास ने आरती उतारी और विवाह मण्डप में पहुंचाया गया।नो बजने वाले थे।पंडित ने दुल्हन की माँ को कहा दुल्हन को बुलाओ।
दूल्हे ओर दुल्हन में मोबाइल पर हॉट टाक हुई थी।
जितने मुह उतनी बातें।महिलाएँ खुसुर फुसुर कर रही थी।हमें तो पहले ही इस लड़की के लच्छन अच्छे नहीं लग रहे थे।लड़कियों का ग्रुप अलग ही बातें कर रहा था।कई उसके बॉय फ्रेंड बता रही थी तो कई किसी के साथ पूर्व में कोर्ट मैरिज प्रमाणित करती थी।सब महिलाए ओर लड़कियां चटखारे ले ले कर मजे ले रही थी।कई तो कह रहे थे जिस लड़के के साथ भागी है उसकी जानकारी इसकी मा को थी।
पुरुषों में भी कमोबेश ये ही बातें चल रही थी।एक बूढ़ा कह रहा था लड़कों के कॉलेज में पढ़ाओगे तो ऐसा ही होगा।दूसरा कह रहा था घी और आग साथ रहेंगे तो आग तो लगेगी ही।कुछ कह रहे थे ऐसी कुलकलंक लगाने वाली को तो जीने का भी हक़ नहीं है।पूरे समाज का नाक कटा दिया।अगर भागना ही था तो दो दिन पहले ही भाग लेती।
रात्रि के 12 बज गए थे।अब विवाह की संभावनाएं क्षीण लग रही थी कि अचानक पूजा की कार घर में घुसी।उसकी दो सहेलियां भी साथ थी।उनके पीछे मा बाप की भी कारे आ गई।
पूजा की एक सहेली बता रही थी कि आज शादियों का इतना रस था कि कोई भी ब्यूटी पार्लर खाली नहीं था।आखिर अब दुल्हन को ब्यूटी पार्लर से सजा कर ला पाई हैं।आप लोगों को तकलीफ हुई सो सोरी।
इस संक्षिप्त सूचना को सुनते ही दूल्हे का मुरझाया हुआ चेहरा कमल के फूल की भांति खिल गया।बाराती नाचने लग गए और बैंड पर धुन बजने लगी,,ले जाएंगे ले जाएंगे,दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे।पंडितजी की भी जान में जान आई क्योंकि तत्काल नकद दक्षिणा तो अब उसी को मिलेगी।