बीकानेर, नवम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी की आज्ञानुवर्ती प्रवर्तिनी साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. ने कहा कि जैन ही नहीं विश्व के अनेक देशों व धर्मावलम्बियों ने शाकाहारी भोजन को तन, मन व स्वास्थ्य के लिए उत्तम आहार बताया है।

उन्होंने ढढ्ढा चैक के इन्द्रलोक में श्रावक-श्राविकाओं से चर्चा करते हुए कहा कि देश ही नहीं विदेशों में भी जैन थाली को सात्विक पूर्ण शाकाहारी के रूप् में लोग सम्मान से ग्रहण करते है। उन्होंने कहा कि ’’जैसा आहार वैसा विचार’’ । खान पान का व्यक्ति के जीवन, व्यवहार तथा सेहत पर बहुत असर पड़ता है। ढ्ढ्ढा कोटड़ी में साध्वीश्री संवेग प्रज्ञा व श्रमणी प्रज्ञाा ने प्रवचन में कहा कि क्या खाने योग्य व क्या नहीं इसका पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। होटलों व बाजार के खाने में मिलावट के साथ निम्न स्तर की सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

वर्तमान में बढ़ते फास्टफूड का फैशन अनेक बीमारियों का न्यौता दे रहा है। हमें फास्टफूड व बाजारू चटपटी चीजों की बजाए शुद्ध सात्विक भोज्य सामग्री का उपयोग करना चाहिए।