– शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर अल्पसंख्यक समुदाय के किसान भाई चांद की 1 तारीख के साथ शुरुआत रमजान के पवित्र महीने पर रोजा इफ्तार पार्टी करते हुए

गुरुग्राम, हरियाणा(दिनेश शर्मा”अधिकारी”) ओम एक्सप्रेस । अंबेडकर जयंती के अवसर पर 14-अप्रैल को ‘संविधान बचाओ दिवस’ और ‘किसान बहुजन एकता दिवस’ मनाया गया। संयुक्त किसान मोर्चे की सभी स्टेज की अगुवाई बहुजन समाज के किसान-मजदूर युवाओं ने की और आज की आमसभा में सभी वक्ता भी बहुजन समाज के किसान ही थे।

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। उनके विचारों को साकार करने का संकल्प लिया गया। चौतरफा बढ़ते संकट और कटाई के मौसम के बावजूद किसान-आंदोलन पूरे ओज के साथ जारी है।संयुक्त किसान मोर्चे ने 14-अप्रैल को ‘संविधान बचाओ दिवस’ और ‘किसान बहुजन एकता दिवस’ मनाया। आज संयुक्त किसान मोर्चे की सभी स्टेज की अगुवाई बहुजन समाज के किसान-मजदूर युवाओं ने की और आमसभा में सभी वक्ता भी बहुजन समाज के किसान ही थे। सर्वप्रथम बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। किसानों द्वारा उनके विचारों को साकार करने का संकल्प लिया गया।अम्बेडकर जयंती के सरकारी आयोजनों के विपरीत किसान नेताओं के लिए यह कोई रस्म अदायगी नहीं है वरन संविधान निर्माता का स्मरण है,जिस संविधान से हासिल अधिकार के बल पर वे आज दमनकारी सत्ता के खिलाफ जीवन-मरण के संग्राम में अविचल खड़े हैं। आमसभा को सम्बोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन के दौर में किसानों की विकसित होती चेतना में आज डॉ. अम्बेडकर के दलित मुक्ति के संघर्ष ने एक नया अर्थ ग्रहण कर लिया है। डॉ.अम्बेडकर देश के शोषित, उत्पीड़ित लोगों की आजादी के सपनों के नायक थे। हम उन्हें संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं, जिस संविधान में आजादी के समय दिये गये कई मौलिक अधिकारों पर आज आरएसएस-भाजपा की मोदी सरकार तीखे व क्रूर हमले कर रही है।

बेरोजगारी बेइंतहा तेजी से बढ़ रही है और खेती में घाटा व कर्जदारी बढ़ रही है, तब इसके चलते खेती से जुड़े लोगों पर सकंट बढ़ता जा रहा है।खेती के लिए बनाए गये ये तीन काले कानून और बिजली बिल 2020 भी मोदी सरकार की गरीब विरोधी नीतियों का अगला कदम है। ये काले कानून दोनों जमीन वाले व बिना जमीन वाले किसानों के लिए खतरा बन गए हैं। खेती का यह नया प्रारूप बंटाईदार किसानों के लिए और भी घातक है क्योंकि खेती को लाभकारी बनाने के लिए कम्पनियां बड़े पैमाने पर इसमें मशीनों का प्रयोग कराएंगी और बंटाईदारों का काम पूरा छिन जाएगा। बंटाईदारों की बड़ी संख्या बहुजन समाज से आती है। देश के मेहतनकशों के लिए एक उत्साह की बात है कि देश के तमाम किसान और इनके संगठन, इन कानूनों को रद्द कराने के लिए लड़ रहे हैं।न्याय, आर्थिक ही नहीं सामाजिक भी होना चाहिए, यह उनकी अनुभूति का हिस्सा बन रहा है और इसके माध्यम से उस ग्रामीण भारत में जहां आज भी सामन्ती अवशेष गहरे जड़ जमाये हैं, जहां दलित विरोधी अन्याय की अंतर्धारा हमेशा मौजूद रहती है, वहां अब किसानों, बंटाईदारों, मजदूरों की एकता का नया अध्याय लिखा जा रहा है, यह इस आंदोलन की सर्वोत्तम उपलब्धियों में है। हर घर में किसान नेताओं और बाबा साहब की फोटो एक साथ लगाने का आह्वान सच्चे जनांदोलन से निकली वैचारिक प्रेरणा का परिणाम है।किसान-आंदोलन ने संविधान के मूल्यों और आदर्शों से प्रेरणा ग्रहण की है और उसमें प्रदत्त अधिकारों से शक्ति अर्जित की है। बदले में, किसान आंदोलन आज संविधान की रक्षा के लिए, उसकी धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक आत्मा को खत्म करने और देश में एक बहुसंख्यकवादी अधिनायकवादी निज़ाम कायम करने की कोशिशों के खिलाफ, सबसे बड़ी चुनौती बन कर खड़ा हो गया है। रेवाड़ी में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को विरोध स्वरूप काले झंडे दिखाने पहुँचे किसान नेताओं को पुलिस ने किया गिरफ्तार। संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा सरकार की इस तानाशाही की पुरजोर भर्त्सना करता है।किसान सभा को पवन दुग्गल, स्वामी रघुवीरानंद,जगदीश प्रसाद मीणा, के.सी. घुमरिया, पत्रकार रामानंद जी,महावीर सिंह, कर्मवीर सिंह, वीरू सिंह,सुमनलता, सुख लाल जटाटू, बाबू लाल कबीरपंथी आदि ने संबोधित किया । आमसभा का संचालनचिरंजी लाल मेघवाल और अंकुश सोलंकी ने किया।