बीकानेर, 11 अक्टूबर। खरतरगच्छाधिपति आचार्यश्री जिनमणि प्रभ सूरिश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती पवर्तिनी साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. के सान्निध्य में शुक्रवार को बागड़ी मोहल्ले की ढढ्ढा कोटड़ी में तीर्थंकर मुखवासिनी-विद्या दायिनी मोक्ष ज्ञान प्रदायिनी-श्रुतज्ञान की अधिष्ठात्री मां सरस्वती देवी तीन दिवसीय जाप अनुष्ठान शुरू हुआ। छह चरणों में श्रावक-श्राविकाएं ध्यान मग्न होकर कर रहे है, वीणावादिनी के बीज मंत्र ’’ऊं ऐं नमः’’ जाप। जाप 13 अक्टूबर शाम चार बजे तक चलेगा।
साध्वीश्री शशिप्रभा व सौम्यगुणा ने जाप का शुभारंभ करते हुए कहा कि कई महापुरुषों ने इस मंत्र का जाप कर कामयाबी हासिल की। देवों-तीर्थंकरों,आचार्यों, मुनियों, संत-महात्माओं, विद्वानों ने देवी सरस्वती साधना कर जीवन को उत्कृष्ट बनाया। दुनियां में यह एक मात्र मां सरस्वती देवी व शक्ति है जो हमारे अंतःकरण में ज्ञान की ज्योति जगाती है। उन्होंने कहा कि जितनी बार मंत्र का जाप होता है चेतना आती है। मंत्र चैतन्य स्वरूप है। उन्होंने कहा कि बाहरी क्रियाओं से मन को हटाकर शुद्ध हृृदय से इस मंत्र का जाप व स्मरण अपने भीतर चेतन्य स्वरूप प्रकट होता है।
साध्वीश्री ने कहा कि विश्व में मां सरस्वती एक मात्र ऐसी देवी है जिसके समक्ष कभी भी स्वार्थ, आकांक्षा या इच्छापूर्ति की प्रार्थना नहीं की जाती, केवल सद्बुद्धि का विकास करने, अज्ञानता को दूर करने, सद््विचारों का जागरण करने की उच्च कोटि की भावना जागृति होती है। बाह््य जगत में वाणी के बिना कोई कार्य नहीं हो सकता इसलिए मां शारदा की साधना आवश्यक है। जैन-जैनेतर परम्परा के अनेकों संत साधकों ने श्रुत देवी की मंत्र साधना से स्व-पर के हित में अद््भुत कार्य किए हैं।

उन्होंने बताया कि जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो, जो बोलते समय तुतलाते या हकलाते हो, जिनके अस्पष्ट या अशुद्ध उच्चारण हो, जिन्हें बुरे विचार आते हो, जो अपनी बात ठीक से समझा नहीं पाते हों, जिनका मन अधिक चंचल हो, ज्ञान के प्रति अरूचि हो, अधिक श्रम करने के बावजूद भी अध्ययन-व्यापार आदि में सफलता नहीं मिलती हो, पूज्यजनों के प्रति सम्मान के भाव नहीं आते हो, धर्मोपासना में उत्साह न हो, जो विद्याभ्यास में आगे बढ़ना चाहते हो, व्यक्तिक-पारिवारिक शारीरिक या आर्थिक समस्याओं से समाधान पाना चाहते हो, प्रत्येक कार्य जो शांतिपूर्वक तरीके से सम्पन्न करना चाहते हो, उग्र स्वभाव को शीतल, अहंभाव को मृृदु, स्वार्थवृृति को परमार्थ में बदलना चाहते हों तो ऐसे लोग इस जाप साधना से जुड़कर जीवन में निश्चित रूप से बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

सुबह साढ़े सात बजे से पहले चरण में ही अनेक स्कूलों व काॅलेजों के छात्र-छात्राएं कतारबद्ध होकर मंत्र जाप करने के लिए पहुंच गई। विभिन्न चरणों में विद्यार्थियों व श्रावक-श्राविकाओं को साध्वीश्री सौम्यगुणा ने मंत्र का जाप करवाया तथा जाप की सही विधि से अवगत करवाया। खरतरगच्छ युवा परिषद की ओर से जाप करने वालों को देवी सरस्वती की प्रतिमा, माला आदि सुलभ करवाया गया। खरतरगच्छ युवा परिषद के अध्यक्ष राजीव खजांची ने बताया कि श्रावक-श्राविकाएं 1250 मंत्रों का जाप करने के लिए तीन दिन में एक-एक चरण में 125, जिन्हें 51 हजार मंत्रों का जाप करना है वे तीन दिन में दो या तीन चरणों में बैठकर 510, जिन्हें सवा लाख मंत्र का जाप करना है वे तीनों दिन सभी चरणों में बैठकर 1250 माला का जाप करना जरूरी है। श्रावक-श्राविकाएं अपनी मंत्र की सिद्धि के लिए तीन दिन में कम से कम 125 माला, मध्यम रूप् में 510 तथा उत्कृृष्ट रूप् मं 1250 माला का जाप कर रहें है। साध्वीश्री ने कई श्रावक-श्राविकाओं को शारीरिक व पारिवारिक कारणों से निर्धारित संख्या से अधिक माला घर पर बैठकर फेरने का भी आशीर्वाद दिया है।
डेढ-डेढ़ घंटें के चरण में प्रति दिन हर साधक को डेढ़ घंटा जप करना अनिवार्य होगा। प्रत्येक चरण का अलग प्रवेश पत्र दिया गया है। एक साधक एक से अधिक चरणों में भी जाप कर सकता है। जाप साधकों को सफेद वस्त्र,महिलाओं को रंगीन बोर्डर, बूंटे आदि की छूट रहेगी। प्रथम चरण में सुबह छह बजे से साढ़े सात बजे तक, द्वितीय चरण में सुबह साढ़े सात बजे से नौ बजे तक, तृृतीय चरण में सुबह साढ़े दस बजे से दोपहर बारह बजे तक, चतुर्थ चरण में शाम चार से साढ़े पांच बजे तक चलेगा। इसके अलावा जप साधकों की संख्या व मांग को देखते हुए चरणों में वृृद्धि की जाएगी। जप के लिए समय की पूर्ण पाबंदी रखी गई है।