श्रीगंगानगर (गोविन्द गोयल )। शहर के कई वार्ड तो ऐसे हैं, जिन पर एक ही परिवार का कब्जा है। कभी खुद। कभी पुत्र वधू। कभी पुत्र। कभी भाई। कभी माई। राजनीतिक दल भी इन्हीं पर दाव खेलते हैं। स्थिति ये हो चुकी है कि नये चेहरों को अवसर ही नहीं मिलता। वंशवाद, परिवारवाद के नारे ऐसे वार्डों मेँ आ चूर चूर हो जाते हैं। वोटर भी कमाल के हैं, हर बार एक ही परिवार के गले मेँ माला डाल देते हैं। उनको या तो कोई नया चेहरा दिखाई नहीं देता या पसंद नहीं आता। कई बार तो सामान्य वार्ड से ऐसे व्यक्ति जीतते रहते हैं। जबकि सामान्य वर्ग के लोग आरक्षण का विरोध करते हैं। मगर इनको विजयी बनाने से परहेज नहीं करते।

सट्टा बाजार मेँ कांग्रेस-चान्डक- बेशक राजनीति मेँ अंतिम परिणाम ही असली परिणाम होता है। किन्तु इसके बावजूद सट्टा बाजार की अपनी पहचान है। रौनक है। चर्चा है। यहां का सट्टा बाजार नगर परिषद मेँ कांग्रेस बोर्ड की बात कर रहा है। सट्टा बाजार का आंकलन है कि कांग्रेस की टिकट पर 30-32 पार्षद चुने जायेंगे। 20-22 वार्ड बीजेपी के हिस्से आयेंगे। बाकी वार्डों मेँ निर्दलियों की जीत होगी। सट्टा बाजार वार्ड 39 से करुणा चान्डक की जीत पक्की मान रहा है। सट्टा बाजार करुणा चान्डक को नगर परिषद का सभापति बना रहा है।
कांग्रेस कम वोट मिले इसलिये-ब्लॉक एरिया मेँ एक वार्ड ऐसा है, जहां एक उम्मीदवार ने कांग्रेस की टिकट नहीं ली। जबकि उसे टिकट मिलने मेँ कोई दिक्कत नहीं थी। सुना है कि इस वार्ड मेँ 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव मेँ कांग्रेस प्रत्याशी को बहुत कम वोट मिले थे। इसलिये चुनाव लड़ने के इच्छुक बंदे ने कांग्रेस टिकट लेने मेँ कोई रुचि नहीं दिखाई। बीजेपी ने दी नहीं। इसलिये निर्दलीय के रूप मेँ मैदान मेँ है। पी ब्लॉक वाले इस वार्ड मेँ इस बंदे की स्थिति जीत सकने लायक तो नहीं है।

नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल-बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के लिये यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है। जो नेता जिस वार्ड मेँ रहते हैं, उस वार्ड मेँ पार्टी उम्मीदवार को जीताने की नैतिक ज़िम्मेदारी उन्हीं की है। इस कारण से ये नेता अपने अपने वार्ड मेँ जी जान से पार्टी प्रत्याशी को विजयी बनाने की कोशिश मेँ लगे हैं। 50 नंबर वार्ड मेँ तो दो नेता हैं। एक विधायक जी और दूसरे समाजसेवी। देखते हैं, कौन किस पर भारी पड़ता है।
बाहरी उम्मीदवार-शहर के अनेक वार्ड ऐसे हैं जहां पार्टियों ने दूसरे वार्ड के व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाया। सवाल दूसरे वार्ड का नहीं, बल्कि इनके मकान वार्ड से बहुत दूर हैं। इतना दूर की वार्ड वालों को ये तक नहीं मालूम कि उम्मीदवार का मकान है किधर। वोटरों की आम राय है कि ऐसे उम्मीदवार को पार्षद बना दिया तो वे उसे कहां ढूंढते रहेंगे। इससे तो अच्छा यही है कि जो वार्ड का है, आँखों के सामने रहता है, उसे ही यह ज़िम्मेदारी दी जाये। इस सोच के कारण दो बड़े परिवार मुश्किल मेँ हैं। इनमें से एक की पुत्र वधू बाजार के वार्ड से मैदान मेँ है और एक का पुत्र ओबीसी के लिये आरक्षित वार्ड से। हालांकि एक का मकान अभी भी उसी वार्ड मेँ है, किन्तु रहते दूर हैं। इसी प्रकार दूसरे का कारोबार वार्ड के निकट है, किन्तु मकान हनुमानगढ़ रोड पर है। [समाप्त]


निकाय चुनाव की चटर पटर ! [12]

बहुत कन्फ़्यूजन है जनाब, बहुत कन्फ़्यूजन !

श्रीगंगानगर। शहर मेँ चर्चित किसी वार्ड मेँ चले जाओ, किसी की हवा महसूस नहीं होगी। गलियाँ खामोश हैं। मोहल्ले चुप। वार्ड गुमसुम। वोटर भी कहां मुखर है। वह किसी के लिये निकल ही नहीं रहा। बड़े बड़े उम्मीदवार केवल उम्मीद के सहारे आगे बढ़ रहे हैं। फीड बैक ले रहे हैं। उम्मीदवारों के परिजन खुद दूसरों से अपनी स्थिति के बारे मेँ पूछ कर तसल्ली कर रहे हैं। ऐसा लगभग हर वार्ड मेँ है। हां, एक बात जो सुनने मेँ आ रही है वो ये कि इस बार जनता सत्त

निकाय चुनाव की चटर पटर ! [11]

अमीरों का वार्ड और सेवाभावी पार्षद !

श्रीगंगानगर। आधे से एक कम वाला वार्ड है। शानदार वार्ड है। अमीर वोटर हैं। बड़ी बड़ी कोठी। महंगी कारें! कोठियों की ऊंची दीवारें! खूब अच्छे कारोबार। एक पार्षद। बार बार एक ही व्यक्ति जीत रहा है। कमल की सबसे सेफ सीट, इसी व्यक्ति के हाथ मेँ है। हर बार जीत की वजह के लिये खोज खबर की। चूंकि इस वार्ड मेँ अधिकांश वोटरों के पास समय ही नहीं है, इसलिए इस सेवाभावी व्यक्ति को ज़िम्मेदारी सौंप देते हैं। पार्षद होने के बावजूद बंदा सेवा के लिये हाजिनिकाय चुनाव की चटर पटर ! [10]

अंदर खाने कोई गठबंधन हुआ है क्या !

श्रीगंगानगर। प्रो केदार का चेला कुछ भी कर सकता है। खुद जीते ना जीते, मगर दूसरे को चुनाव मेँ विजयी बनाने का हुनर तो है ही। बेशक हाइट कम है, मगर चुनावी रणनीति मेँ तो खूब माहिर हैं। इस निकाय चुनाव मेँ बड़ी चर्चा है उनकी। चर्चा का विषय ये नहीं कि अपनी पार्टी मेँ उनकी कितनी चली। चर्चा इस बात की कि मोटा भाई के साथ उनका अंदर खाने कोई गठबंधन हुआ है क्या! इसका जवाब सभापति का चुनाव देगा। तब मालूम हो जायेगा कि कहां कौन जीता और जीतने के बाद व

निकाय चुनाव की चटर पटर ! [9]

बाप-दादे सब याद आ गये !

श्रीगंगानगर। चुनाव के लिये पार्टी के नाम के साथ साथ उम्मीदवार की फेस वैल्यू हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है। इसके अभाव मेँ उम्मीदवार को अपने परिवार के उस मेम्बर के नाम का सहारा लेना पड़ता ही, जिसकी फेस वैल्यू होती है। जैसा शहर के अनेक वार्डों मेँ हो रहा रहा। एक प्रत्याशी के नाम के साथ पिता का नाम लिया जाता है। पिता को गुजरे भी कई साल हो गये। आज के वोटर के लिये वह अपरिचित है। महिला उम्मीदवारों मेँ से दो चार को छोड़ सबकी सब या तो पति के नाम पर आ

निकाय चुनाव की चटर पटर ! [8]

बाऊ जी की चौखट से सबक लेना चाहिये !

श्रीगंगानगर। राजनीति मेँ छोटी उपलब्धि हासिल कर गुरूर मेँ आने वालों के लिये जरूरी है कि वे एक बार राधेश्याम गंगानगर की चौखट देख लें। उनके ड्राइंग रूम मेँ झांक लें। उनके घर के सामने के माहौल पर नजर मार लें। सन्नाटा! पूरी तरह सन्नाटा! ये सन्नाटा उस राजनीतिज्ञ के यहां है, जो कभी शहर की राजनीति का केंद्र हुआ करता था। यह सन्नाटा उस नेता के ड्राइंग रूम मेँ है, जहां ना जाने कैसे वे व्यक्ति इस सन्नाटे से सबक लें, जो पद पाने या चुनाव जीतने

निकाय चुनाव की चटर पटर ! [7]

धन बल के साथ नजर आये पंडित जी !

श्रीगंगानगर। टिकट बँटवारे से पहले वृन्दावन वाले बागी पंडित जी ने शक्ति प्रदर्शन किया। धन बल और जन बल की बात की। बोले भी, धन बल पर जन बल जीत जायेगा। समर्थकों ने तालियाँ बजाई। जय जयकार हुई। पंडित जी को जयपुर बुला लिया। बाद मेँ पंडित जी उन्हीं के साथ मैडम का पर्चा भरवाते नजर आये, जिन्हें इशारों इशारों मेँ धन बल, धन बल बोल रहे थे। बड़ा कन्फ़्यूजन है कि आखिर सच क्या था! शक्ति प्रदर्शन मेँ दिया गया भाषण या वो दृश्य जो नामांकन भरते समय था।

निकाय चुनाव की चटर पटर ! [6]

सारी टिकटें आपकी, चेयरमेनी हमारी !

श्रीगंगानगर। निकाय चुनाव के लिये राजनीतिक शतरंज की बाजी सजा दी गई है। प्यादे से लेकर वजीर तक की भूमिका तय हो चुकी है। किसको क़ुरबान कर किसे बचाना है, इसका निर्णय भी इशारों इशारों मेँ कर लिया गया है। जो जिसमें खुश था, उसे वह मिल जाने की उम्मीद है। किसी को विश्वास ना हो तो टिकटें देख लो। जिनको मिली उनकी फेस वैल्यू जान लो। जो थोड़ा बहुत असमंजस है, वह भी दूर हो जायेगा। क्योंकि कितने ही ऐसे टिकट वाले हैं, जिनको ये भी नहीं पता कि टिकट का

सभापति के दावेदारों मेँ बड़ा नाम करुणा चान्डक

श्रीगंगानगर। नगर परिषद सभापति पद के लिये बड़ा नाम सामने आया है। वह नाम है कांग्रेस के अशोक चान्डक की पत्नी करुणा चान्डक का। कांग्रेस पार्टी ने करुणा चान्डक को वार्ड 39 से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया है। जहां इनका मुक़ाबला बीजेपी के नरेश मुन्ना से होगा। इसी वार्ड से 2014 के चुनाव मेँ करुणा चान्डक के देवर अजय चान्डक पार्षद का चुनाव जीते थे। जो बाद मेँ बड़े बहुमत से सभापति निर्वाचित हुये। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप मेँ करुणा चान्डक का नाम आने के बाद सभापति पद

नामांकन जमा करवाने वालों की भीड़

श्रीगंगानगर। नगर परिषद चुनाव के लिये नामांकन भरने के लिये आज सुबह से ही अभ्यर्थियों का जिला परिषद मेँ आना शुरू हो गया। नामांकन लेने वाली विंडो खुलने से पहले ही अभ्यर्थियों की लाइन लग चुकी थी। सभी काउंटर पर लंबी लाइन थी। नामांकन जमा करवाने वालों मेँ टिकट और बिना टिकट, दोनों ही प्रकार के अभ्यर्थी थे । जिन जिन को कांग्रेस और बीजेपी की टिकट मिलने का संकेत हो चुका है, वे भी नामांकन जमा करवाने पहुंचे हुये थे। उन्होने अपनी अपनी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा
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