नई दिल्ली 15 दिसंबर।
सरकार ग्रेच्युटी कानून में बड़े बदलाव की तैयारी में है। सामाजिक सुरक्षा संहिता 2019 के मुताबिक कर्मचारियों को ग्रेच्युटी तभी मिलेगी जब वह एक संस्थान में लगातार पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद नौकरी छोड़ेंगे। सरकार ने ग्रेच्युटी बिल लोकसभा में पेश कर दिया है।

नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी पाने की महत्वपूर्ण शर्तों के तहत कोई भी कर्मचारी इसके लिए तब योग्य होता है, जब वह किसी कंपनी में कम से कम पांस साल तक नौकरी कर चुका हो। सामाजिक सुरक्षा संहिता में कहा गया है कि पांच साल तक लगातार सेवा देना उस स्थिति में अनिवार्य नहीं होगा, जब कर्मचारी की मौत या शारिरिक रुप से अक्षम होने पर नौकरी छूट जाती है। इसमें कर्मचारी की मौत होने की स्थिति में ग्रेच्युटी उसके नॉमिनी को मिलेगी। यदि कर्मचारी ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है तो यह राशि उसके वारिस को मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि सरकार से तमाम मजदूर संगठन लबे समय से इस बात की मांग कर रहे हैं कि ग्रेच्युटी की अवधि कम की जाए। उनका तर्क यह है कि आज के प्रतिस्पर्धा भरे दौर में लोग एक जगह टिक कर नौकरी नहीं कर पाते हैं। साथ ही तेजी से बदलते स्किल सेट और बढ़ते खर्चे के माहौल में कंपनियां भी छंटनी करती रहती हैं। ऐसे में पांच साल से पहले नौकरी जाने की आशंका बनी रहती है।