– साहित्य सृजन हेतु मानवीय संवेदना जरुरी

बीकानेर / कविता कंवर
साहित्य सृजन साहित्य सृजन हेतु मानवीय संवेदना जरूरी होती है।इसके बिना कोई भी रचनाकार न सफल कवि बन सकता और न ही लघुकथाकार।करुणा का भाव साहित्य का मूल है इसके बिना किसी भी तरह का सृजन सम्भव नहीं है।ये उदगार आज साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक साहित्यकार पत्रकार और रंगकर्मी श्री मधु आचार्य आशावादी ने सरिता तिवाड़ी के कविता संग्रह और एक लघुकथा संग्रह के लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष के रूप में पारीक चौक स्थित ज्ञानोदय भवन में आयोजित समारोह में प्रकट किए।

कर्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि कथाकार और रंगकर्मी श्री हरीश बी. शर्मा ने कहा कि जन जन तक सृजन अभियान तभी सफल हो सकता है जब सरिता तिवाड़ी जैसी साहित्यकार जन जन के लिए इस तरह का निरन्तर सृजन करती रहे।कर्यक्रम के प्रारम्भ में स्वगताध्यक्ष के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए व्यंग्यकार, लेखक और संपादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि सरिता तिवाड़ी उन महिलाओं के लिए आदर्श है जो अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए भी साहित्य और समाज की सेवा कर सकती है।समारोह की विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कवि कथाकार और समीक्षक डॉ. रेणुका व्यास नीलम ने कहा कि जब कोई रचनाकार साहित्य जगत में आ जाता है तब उसको महिला या पुरुष के रूप में न देख कर एक संवेदनशील साहित्यकार के रूप में ही देखा जाना चाहिए।रचनाकार सरिता तिवाड़ी ने अपनी सृजन यात्रा को बताते हुए कहा कि परिवेश में जो कुछ देखती हूँ, सुनती हूँ और महसूस करती हूँ उसको विषय वस्तु की मांग के अनुसार अपनी कविता या लघुकथा में प्रकट कर देती हूँ।प्रयास यही रहता है कि आम पाठक तक मेरी बात सहज संप्रेषित हो जाय।

कर्यक्रम में दोनों कृतियों पर पत्रवाचन करते हुए विदुषी इला पारीक ने कहा कि सरिता की रचनाएं आस पास विखरी घटनाएं और स्थितियां हैं जिनमें व्यक्ति खुद को उनके साथ पाता है।डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने सरिता तिवाड़ी का परिचय देते हुए कहा कि उनमें सूक्ष्म साहित्य दृष्टि है जो रचना कि विषय वस्तु के साथ पूरा न्याय करती है।

नवकिरण प्रकाशन बीकानेर द्वारा प्रकाशित इन दोनों पुस्तकों के लोकर्पण के अवसर पर सरिता तिवाड़ी का पारीक समाज,नवकिरण सृजन मंच, सिंथेशिष परिवार ,डॉ अर्पिता गुप्ता श्रीमती इला पारीक और भव्य कोचिंग क्लासेज द्वारा सम्मान किया गया।इस अवसर पर कवि कथाकार श्री राजेन्द्र जोशी,श्री राजाराम स्वर्णकार,गिरिराज पारीक, प्रदीप पारीक,व्यास योगेश राजस्थानी, डॉ. अभय सिंह जी टाक और रामजीवन जी व्यास आदि साहित्यकारों के साथ सरिता तिवाड़ी के परिजन और समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।कार्यक्रम का संयोजन डॉ. पुनीत पारीक ने किया और आगन्तुकों का आभार ज्ञापन श्री अभिषेक पारीक ने किया।