नई दिल्ली /मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी चूक सामने आई है।दिल्ली में सोमवार को रैली करने आए मुख्यमंत्री की वीवीआईपी ड्यूटी में फिजिशियन की जगह पैथोलॉजिस्ट और नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को भेज दिया गया। दिल्ली में पीएसओ को दिल का दौरा पड़ने पर मामला सामने आया। यह मामला मुख्यमंत्री के भी पास पहुंच चुका है। वहीं, सीएमओ ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को दिल्ली में चुनावी रैली को संबोधित करने आए थे।

मुख्यमंत्री की ड्यूटी में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एमएमजी अस्पताल की एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस के साथ ही नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मदनलाल और पैथोलॉजिस्ट एमके चौधरी की डयूटी लगाई गई।ये चिकित्सक अपनी ड्यूटी कर रहे थे, तभी पीएसओ (निजी सुरक्षा अधिकारी) को दिल का दौरा पड़ गया। दिल का दौरा पड़ते ही चिकित्सकों की टीम को बुलाया गया। दोनों चिकित्सकों ने पीएसओ को तुरंत ऑक्सीजन लगाई, उन्हें कार्डियक मॉनिटर पर रखा।इसी दौरान चिकित्सकों से फिजिशियन को बुलाने के लिए कहा गया। चिकित्सकों ने मौजूद आला अधिकारियों को बताया कि उन दोनों में से कोई फिजिशियन नहीं है। यह सुनकर वहां मौजूद अन्य लोगों ने फिजिशियन नहीं होने पर उनसे सवाल-जवाब किया।

एम्स पहुंचाकर बचाई जान
दिल का दौरा पड़ने पर पीएसओ को तुरंत दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया। जहां पर उनका इलाज कर जान बचाई गई। इस मामले को काफी गंभीरता से लिया गया है।सीएम की ड्यूटी में चूक
प्रोटोकॉल के नियमों के अनुसार मुख्यमंत्री समेत अन्य वीवीआईपी ड्यूटी में फिजिशियन समेत एनेस्थेटिस्ट की ड्यूटी लगाने का प्रावधान है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रोटोकॉल के इन नियमों का उल्लंघन किया गया। नेत्र रोग विशेषज्ञ और पैथोलॉजिस्ट को वीआईपी ड्यूटी में तैनाती पर दिल्ली के आला अधिकारियों ने मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचा दिया है। वहीं गाजियाबाद के सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता से भी लापरवाही के इस मामले के संबंध में पूछताछ की गई है।इस मामले की जानकारी मिली है।गाजियाबाद में फिजिशियन की कमी है। वीवीआईपी ड्यूटी में एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आरपी सिंह की ड्यूटी थी, वह रविवार रात की ड्यूटी करके अस्पताल से गए थे। ऐसे में उनको दोबारा ड्यूटी में नहीं भेजा जा सकता था। भविष्य में इसका ध्यान रखा जाएगा।पहले भी ऐसा हो चुका है वीआईपी ड्यूटी में चूक का यह पहला मामला नहीं है। पहले भी प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक की सुरक्षा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से ही लापरवाही की गई थी। इस मामले का पता चलने पर शासन की ओर से कार्रवाई भी की गई थी।