बिहार(सुपौल)- वैसे तो बिहार विधानसभा चुनाव में अभी विलंब है, लेकिन सुपौल विधानसभा क्षेत्र में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू है। यहां का प्रतिनिधित्व सूबे के ऊर्जा मंत्री सह दिग्गज जदयू नेता विजेंद्र प्रसाद यादव करते हैं। विजेंद्र 1990 से लगातार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में विजेंद्र प्रसाद ने राजद उम्मीदवार रविंद्र कुमार रमण को 15000 से अधिक वोटों से हराया था। लेकिन कहते हैं न कि राजनीति और क्रिकेट में कब क्या हो जाए कहना कठिन है। अबकी स्थिति कुछ इस तरह की ही है। बताया जाता है कि हाल के दिनों में विजेंद्र बाबू बीमार च8ल रहे हैं। चर्चा है कि उनकी दिली इच्छा अपने रहते पुत्र को विधायकी दिलाने की है। राजनीतिक गलियारों में हो रही चर्चा के मुताबिक, अगर विजेंद्र की तबीयत अधिक खराब होती है तो उनके पुत्र ही अबकी सुपौल विधानसभा से किस्मत आजमाएंगे। जो भी होगा वह तो समय के गर्भ में है, लेकिन कोसी में राजनीतिक चक्रव्यूह रचा जा रहा है। लक्ष्य विजेंद्र को पटकनी देने की है। बीमारी की खबर सामने आने के बाद से ही कोसी की राजनीति में एक नयी खदबदाहट शुरू हो गयी है। सबसे अहम बात यह है कि विजेंद्र के विरोध में कौन? हालांकि मुख्य रूप से तीन नाम आ रहे हैं, लेकिन सबसे ऊपर जिस शख्स का नाम है वे हैं डॉ. अमन कुमार। आज की तारीख में डॉ. अमन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे एक साथ कई संगठनों के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के प्रमुख हैं। प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के काफी करीबी माने जाने वाले डॉ. अमन को इलाके के लोग अपने आप में संस्था व दल मानते हैं। डॉ. अमन के लिए सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह है कि उनकी पकड़ सभी जाति-धर्म के लोगों के बीच है। यही कारण है कि अमन के नाम सामने आने के बाद कई के कान खड़े हो गए हैं। यहां यह भी बता दें कि राजद से दूसरा नाम विद्या देवी का आ रहा है।

विद्या के पति रविन्द्र यादव ही 2010 में सुपौल से राजद के उम्मीदवार थे। रविन्द्र की हत्या हो गई। विद्या अभी मरौना प्रखंड के प्रमुख हैं। तीसरा नाम स्वर्गीय रविन्द्र के सगे भाई डॉ. वीरेंद्र यादव का है। लेकिन बताया जाता है कि टिकट के सवाल पर हम तो हम के बीच डॉ. अमन की उम्मीदवारी काफी दमदार व मजबूत है। यहां यह भी काबिलेगौर है कि डॉ. अमन पार्टी प्रमुख को किडनी देने तक की घोषणा कर चुके हैं। पूर्व में कई किताब लिख चुके डॉ कुमार आज की तारीख में राजद प्रमुख पर किताब”लालू प्रसाद व्यक्ति नहीं विचारधारा” लिख रहे हैं।

राजनीतिक प्रेक्षक बताते हैं कि आज की तारीख में यहां काफी अगर-मगर है। वस्तुस्थिति के अवलोकन के बाद यह कहा जा सकता है कि 2020 का चुनाव विजेंद्र बाबू के लिए आसान नहीं होगा। कारण अबकी यहां से डॉ अमन कुमार के नाम की चर्चा प्रायः जुबान पर है। यहां यह भी बता दें कि कोसी के इलाके में जातीय गणित ही चुनावी नैया पार लगाती है। जात-पात यहां के डीएनए में है। जहां डॉ कुमार का यादव समाज से ही रहना भी विजेंद्र के लिए खतरे की घण्टी है, वहीं प्रायः जातियों के बीच उनकी व्यक्तिगत पकड़ भी चुनाव के समय काफी मायने रखेगा। बता दें कि डॉ कुमार यादव महासभा के भी सुपौल जिला अध्यक्ष हैं। दलगत भावना से ऊपर उठकर उ बहरहाल, रोज नए राजनीतिक समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं।

राजनीतिक प्रेक्षकों की नजर में भले ही चुनाव में विलंब हो, मगर यहां चुनावी बिसात बिछ चुकी है। क्या होगा यह तो आनेवाले दिनों में ही पता चल पाएगा, लेकिन वस्तु-स्थिति के अवलोकन के बाद यह कहा जा सकता है कि आज की तारीख में डॉ.अमन को अलग करके सुपौल में राजनीति मुश्किल है। बहरहाल , आगे-आगे देखिए होता है क्या। लोगबाग कह रहे हैं कि डॉ. अमन राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी हैं। वह क्षेत्र की जनता को यह दिखा रहे हैं कि बिना एमएलए रहते हुए जब हम इतना कुछ कर सकते हैं तो फिर राजनीतिक पावर मिलने के बाद यहां विकास की गाड़ी सरपट दौड़ेगी। कुल मिलाकर राजनीति का एक टोटका हुआ करता है कि जो नहीं हो, वही देखो और वही आज कल सुपौल विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं।