नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले के दोषी की उस सुधारात्मक याचिका को गुरुवार (19 मार्च, 2020) को खारिज कर दिया, जिसमें उसने 2012 में हुए इस अपराध के समय नाबालिग होने का दावा किया था। न्यायमूर्ति एन.वी. रमण के नेतृत्व में छह न्यायाधीशों की एक पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह कोई मामला नहीं बनता। पीठ ने कहा, ‘मौखिक सुनवाई का अनुरोध खारिज किया जाता है। हमने सुधारात्मक याचिका और संबंधित दस्तावेजों पर गौर किया। हमारे अनुसार यह कोई मामला नहीं बनता… इसलिए हम सुधारात्मक याचिका को खारिज करते हैं।’

पीठ में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर. एस. बोपन्ना भी शामिल थे। पांच मार्च को एक निचली अदालत ने चारों दोषियों को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था। चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी। सभी दोषी अपने सभी कानूनी और संवैधानिक विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके है और उनके बचने के लगभग सभी रास्ते बंद हो चुके हैं।