सोनपुर मेले में पशुओं, ऊनी कपड़ों के दुकानदारों के आगमन से हुआ मेला गुलजार ,

रिपोर्ट – अनमोल कुमार

सोनपुर ( सारण) । विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर पशु मेला अगले साल और इस साल भी कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर इस वर्ष भी बिहार सरकार ने हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला लगाए जाने की अनुमति नहीं दी है लेकिन स्थानीय लोगों के प्रयास से इस बार भले ही सरकारी मेला नही लगी हो लेकिन मेले में दूर दराज से मेलार्थियों ,पशुओं का आगमन होने से मेला को जीवंत बनाए हुए है वही नखास में जहां सरकारी स्तर पर तो कुछ भी नहीं लेकिन फुटपाथ की दुकानदारों ने यहां अपनी विभिन्न प्रकार के दुकानें लगाई है। उधर, मेला क्षेत्र की भूमि तथा मकानों में भी सैकड़ों की संख्या में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की दुकानें लगी हुई है। इस मेले में
जहां सुनसान पड़े स्थलों पर घोड़ा,गाय,बैल बाजार में पशुओं के आगमन से मेला में रौनक लौट आई है। गुरुपूर्णिमा से लेकर अब तक के बीच यहां उत्तर प्रदेश व बिहार के विभिन्न जिलों के घोड़ा,बैल,गाय, पालने के शौकीन व व्यापारी सात दर्जन से अधिक पशु पालक लेकर यहां पहुंच गए हैं। उनके आने से वीरान पड़ा यह हरीहर क्षेत्र सोनपुर मेला फिर से गुलजार हो उठा है। पशु बाजार में घोड़ा ,गाय,बैल अन्य पशुओं के आ आने से मेले में रौनक बढ़ गई है। वही मेलार्थियों के साथ पशु पालक व पशु बिक्रेताओं के पहुंचते ही घोड़ा ,गाय बाजार में चहल पहल बढ़ गयी है । मालूम हो कि इस बाजार में अरबी ,ईरानी और राजस्थानी,जयपुर मूल के एक से एक बढ़कर आकर्षक घोड़े लाए जाते हैं। इस बाजार के मैदान में ग्राहकों को घोड़े की चाल दिखाने के लिए घुड़दौड़ भी किया जाता है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भीड़ लगाए रहते हैं। वहीं कई घोड़ा पालक व विक्रेता ने बताया कि भले ही सरकारी स्तर पर मेला नहीं लगाई गई है लेकिन घोड़े की बिक्री ठीक है । स्थानीय लोगों के साथ साथ स्थानीय प्रशासन की सहयोग मिल रही है। किसी प्रकार की कठिनाई नहीं है थोड़ी सी परेशानी जल समस्याएं के लेकर है जहां पानी पीने की समस्या एवं स्नान करने की समस्या से थोड़ी परेशानी दिख रही है । मेले में लगाए गए दुकानदारों एवं घोड़ा पालको को मजबूरन पानी के बोतल ऊँचे दामों में खरीद कर पीने को मजबूर है। नगर पंचायत के तरफ से अभी तक पानी की पूर्ण व्यवस्था नहीं किए जाने से मेलार्थियों के साथ-साथ दुकानदारों में निराश देखी जा रही है । सरकारी स्तर पर मेला नहीं लगने से जहां दूरदराज से आ रहे मिलार्थीयो को सरकारी योजनाओं की जानकारी एवं सरकार से मिलने वाली सहायता के साथ-साथ सरकार द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी इस बार मेलार्थी वंचित रह गए हैं लेकिन जिस तरह से मेला में भीड़ उभर रही है इससे कहीं न कहीं मेला अपने क्षेत्र में रोनक लाई हुई है । सबसे ज्यादा मेला में भीड़ ऊनी कपड़ों एवं घोड़ा ,लकड़ी बाजारों के सामानों में बिक्री में तेजी देखी जा रही है ।