जयपुर/बीकानेर 13 अक्टूबर । प्रभा खेतान फाउण्डेशन द्वारा ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन के सहयोग से राजस्थानी साहित्य, कला व संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से ’आखर’ श्रृंखला में राजस्थानी भाषा के साहित्यकार श्रीमती आनंद कौर व्यास से उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर चर्चा की गई। उनके साथ संवाद लेखिका मोनिका गौड़ ने किया। श्री सीमेंट द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम का आयोजन होटल आईटीसी राजपुताना में आयोजित हुआ ।

लेखक जीवन की शुरूआत और अपने बचपन के अनुभवों को साझा करते हुये जोधपुर में जन्मी श्रीमती आनंद कौर व्यास ने बताया कि गांव की स्कूल 5वीं क्लास तक ही थी, जहां शिक्षिका रमा बहन जी सभी बच्चों को कवितायें कहानी सुनाकर प्रोत्साहित करती रहती थी। साथ ही मीरा की जंयती पर वार्षिक भजनों के कार्यक्रम में भी सभी साथी बढ़े चाव से भजन लिखते और उनका गान करते थे। 13 वर्ष की आयु में शादी के बाद थोड़ा माहौल बदल गया और फिर साहित्यिक साधना में थोड़ा विराम लग गया। बच्चों के बड़े होते-होते परिवार और पति के सहयोग से साहित्य सृजन संभव हो पाया। आंनद कौर व्यास की लेखन में स्त्री के पढ़ने-लिखने, नौकरी करने, विधवा विवाह, बाबा-साधुओं का ढ़ोंग, सामाजिक कुरीतियां, पारिवारिक मूल्यों की स्थापना आदि विषय इनकी गध्य रचनाओें में देखने को मिलती है।

कार्यक्रम की शुरूआत में बाल साहित्य जैसे मदर टेरेसा की जीवनी, बच्छेन्द्री पाल की जीवनी आदि लेख दिये। आनंद कौर ने 1995 में राजस्थानी भाषा में लिखना शुरू किया। कार्यक्रम के दौरान यह पूछे जाने पर कि उनकी रचनाओं में क्रांतिकारी चरित्रों को प्रमुखता दी जाती है, श्रीमती आंनद कौर ने बताया कि साहित्य समाज का दर्पण है, हमारे आस-पास निरंतर कहानियां बन रही है व घट रही है। इसलिये आप किसी विषय से अछूते नहीं रह सकते है। महिलायें विशेषकर कामकाजी महिलायें जीवन में विविध प्रकार की चुनौतियों का सामना करती है, वहीं सामाजिक स्तर पर भी कई समस्याओं और कुरीतियां उनके विकास में बाधक है। अतः यह आवश्यक है कि इन सभी विषयों पर बात की जाये।
उन्होंने राजस्थानी की लेखिकाओं को साधुवाद देते हुये कहा कि वे लगातार बेहतर लिख रही है और विषयों में नवीनता का समावेश करते हुये, उन अनछुए पहलुओं को सम्मिलित कर रही है, जिनमें परम्परागत रूप से लोग बचते रहे है। अपने संवाद के दौरान श्रीमती आनंद कौर व्यास ने अपनी कथाओं ‘मोल मिनखाचारै रो‘, ‘मून रा चितराम‘, ‘वै सुपना अै चितराम’ आदि का पाठ भी किया ।