आरोपियोंं ने सिर्फ उस मासूम पीड़िता के साथ दुष्कर्म ही नहीं किया था बल्कि उसकी गर्दन भी तोड़ दी थी और जीभ भी काटी थी। इसके बाद पीड़िता के लिए पुलिस को अपना बयान देना आसान नहीं था। लेकिन बहादुर बिटिया ने हिम्मत नहीं हारी और पुलिस को आरोपियों के बारे में सबकुछ बताया। हमारी इस स्टोरी में जानिए कि जीभ कटने के बाद असहनीय दर्द में भी आखिर कैसे उसने पुलिस को अपना बयान दिया….
14 सितंबर की घटना के बाद 19 सितंबर को विवेचक जब पीड़िता का बयान दर्ज करने पहुंचे तो वह इस कदर दहशत और बेहोशी की हालत में थी कि अपने साथ हुई घटना की दास्तां बया नहीं कर सकी। 22 सितंबर को विवेचक ने दोबारा जेएन मेडिकल कॉलेज पहुंचकर बयान दर्ज किए।
तब वह अपने साथ हुई दरिंदगी को बमुश्किल इशारों में बयां कर सकी। उसके बाद पुलिस ने मुकदमे में दुष्कर्म की धारा बढ़ाई और चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इस तथ्य को खुद विवेचक/सीओ ने अपने उच्चाधिकारियों को भेजी दो पेज की रिपोर्ट में उजागर किया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 14 सितंबर की घटना के बाद बेटी को जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उसकी जीभ कटी थी और गर्दन भी टूटी थी। इस पर उसके बयान दर्ज करने 19 सितंबर को कार्यवाहक सीओ सादाबाद महिला आरक्षियों संग आए तो पीड़िता की हालत बहुत ठीक नहीं थी। उसकी हालत देख बयान दर्ज करने वाली टीम भी भावुक हो गई। बिटिया इशारों-इशारों में खुद पर हमले और दरिंदगी की बातें ही बता सकी। जिस पर हमले के साथ-साथ 20 सितंबर को छेड़खानी की धारा बढ़ाई गई।