होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 9 मार्च को होगा। भद्रा इस बार होलिका दहन में बाधक नहीं बनेगी। ज्योतिषाचार्य पं.सूरजकरण व्यास ने बताया कि भद्रा नहीं होने से होलिका दहन प्रदोष काल युक्त गोधुलि वेला में सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसका समय शाम 6.28 से 6.40 तक रहेगा। इस समय चंद्रमा मित्र राशि सिंह, मंगल भी मित्र राशि धनु, बृहस्पति स्व राशि धनु, शनि स्वराशि मकर में रहेगा। जिससे आगामी समय प्रजा के लिए सदभावना युक्त रहेगा। मंगल, ब्रहस्पति का संयोग आध्यात्मिक जागृति बढ़ाएगा। वहीं मौसम में तेज गर्मी बढऩे के आसार होंगे। भारत की मकर राशि प्रधान होने से देश की सामरिक दृष्टि से प्रभाव बढ़ेगा। विदेशों में देश मान-सम्मान बढ़ेगा। यूरोपीय देशों से संबंध प्रगाढ़ होंगे। आयात-निर्यात बढ़ेगा।

होलाष्टक में बन रहे कई योग
व्यास ने बताया कि 3 मार्च से होने वाले होलाष्टक से शुभ कार्य वर्जित रहेंगें लेकिन इसमें तीन सर्वार्थ सिद्धि व तीन रवि योग के साथ शुक्र—शनि पुष्य का भी संयोग बनेगा। 10 मार्च से फिर से विवाह सहित अन्य शुभ कार्य शुरू हो सकेंगे।
भद्रा दोपहर तक होने से रात्रि में होलिका दहन
9 मार्च को भद्रा का योग दोपहर 1.11 बजे तक ही रहेगा यानी होलिका दहन के वक्त भद्रा नहीं रहेगी। इस दिन पूर्णिमा सूर्योदय से रात 11.18 बजे तक रहेगी। इसके बाद 10 मार्च को धुलंडी और रंग पंचमी 14 मार्च को होगी। दो साल बाद भद्रा होलिका दहन के समय नहीं होगी।