जोधपुर: देश की आज़ादी के बाद हुए राज्यों के पुनर्गठन से जोधपुर को राजस्थान की न्यायिक राजधानी के रूप में नई पहचान मिली. जोधपुर की इस नई पहचान के पीछे जो सबसे बड़ा कारण था वो जोधपुर में 1935 में बनी हाइकोर्ट की बिल्डिंग का रहा. 30 मार्च 1949 से ये बिल्डिंग न्याय के मंदिर के रूप में पहचान बन गई. आज इस न्याय के मंदिर अंतिम बार केसेज की सुनवाई. अंतिम कार्यदिवस पर कर्मचारियों से लेकर अधिवक्ता और जज इस बिल्डिंग के साथ बिताए पलों को याद कर रहे है.

अलविदा कहते भर आईं आँखें:
राजस्थान हाईकोर्ट की नवनिर्मित बिल्डिंग के उदघाटन से दो दिन पूर्व आज ओल्ड बिल्डिंग में अंतिम कार्यदिवस रहा. 70 साल तक वकीलों की कई पीढियां तैयार कर देश विदेश की अदालतो में जज देने वाले इस पुराने भवन को अलविदा कहते वकीलो से लेकर जजो की आँखे भर आईं. पुरानी बिल्डिंग के प्रति सम्मान दिखाते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति सहित सभी जज हाई कोर्ट के मुख्य गेट पर आए और सभी अधिवक्ताओं के साथ यादगार पल को का चित्र के रूप में कैद किया गया.

आज अंतिम सुनवाई:
राजस्थान हाईकोर्ट शिफ्टिंग कवायद को लेकर अधिवक्ताओं के चेहरों पर एक और खुशी तो दूसरी ओर गम भी देखने को मिला। सभी जजेज ने इस ओल्ड हाईकोर्ट को निहारने के साथ ही कॉरिडोर में चक्कर लगाया और अधिवक्ता कोटे से बने हाई कोर्ट जस्टिस संगीत राज लोढ़ा, जस्टिस संदीप मेहता, जस्टिस विजय विश्नोई, जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी, जस्टिस विनीत कुमार माथुर, जस्टिस दिनेश मेहता व अन्य ने इस ओल्ड हाई कोर्ट परिसर में स्थित अपने पुराने चेंबर मैं गए और वकालत समय के साथी मित्रों के साथ वक्त बिताया. देश विदेश में न्याय जगत में अपनी खास पहचान बना चुके राजस्थान हाईकोर्ट के इस भवन से आज अन्तिम बार जजों ने केसों की सुनवाई की तो वकीलों ने दलीले पेश की.

70 साल पुराना है हाईकोर्ट का इतिहास:
—29 अगस्त 1949 को हुआ था राजस्थान हाई कोर्ट का उद्घाटन न्यायमूर्ति कमल कांत वर्मा थे पहले मुख्य न्यायाधीश
—उस वक्त उनके साथ 11 अन्य न्यायाधीशों ने की ली शपथ ग्रहण
—27 अक्टूबर 1956 को राष्ट्रपति ने जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ की थी घोषित
—राजस्थान हाई कोर्ट का मौजूदा भवन 1935 हुआ था तैयार
—तत्कालीन नरेश उम्मेद सिंह ने करवाया था निर्माण
—जॉर्ज पंचम के शासन की सिल्वर जुबली की यादगार में तैयार करवाया था भवन
—तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री एस जी एडगर की देखरेख में हुआ था तैयार भवन
—जोधपुर निवासी हाजी मोहम्मद नागोरी सिलावट ने किया था तैयार भवन
—भवन के निर्माण पर 4 लाख 50 हजार रुपए हुए थे खर्च