नई दिल्ली:( दिनेश शर्मा” अधिकारी”)l 73 वें अणुव्रत स्थापना दिवस के अवसर पर देश भर में मीडिया के साथ अणुव्रत संवाद का आयोजन 1 मार्च 2021 को प्रात: 11 बजे से किया जा रहा है। अणुव्रत संवाद का मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाने वाली अणुव्रत जीवन शैली देना है। अणुव्रत आंदोलन व्यक्ति सुधार पर विगत 73 वर्षों से निरन्तर कार्य कर रहा है ,अणुव्रत विश्व भारती इसमें पुरी शिद्दत से लगी हुई है। इसी संदेश को प्रचार प्रचार के लिए 1 मार्च 2021 को देश भर की सैंकडो समितियों द्वारा मीडिया में अणुव्रत संवाद का आयोजन किया गया जिसमें हजारों कि संख्या में पत्रकार सम्मिलित हुए और अणुव्रत आंदोलन के संदेश को मीडिया के माध्यम से विश्व भर में प्रसारित करने में सहयोग कर रहे हैं। दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में इसी मद्देनजर अणुव्रत संवाद का आयोजन सुबह 11 बजे से 1 बजे तक किया गया जिसमें दिल्ली के पत्रकार अपने अऩुभव भी साझा किया।
इस मौके पर केंद्रीय संसदीय मंत्री श्री अर्जुन राममेघवाल ने sandesh main कहा कि अणुव्रत का मतलब है नैतिकता को अपने जीवन में उतारना। यह व्रत आज सभी को लेने की जरूरत है। अणुव्रत हमें आध्यात्म से भी जोड़ता है जिससे हम दूर चले जा रहे हैं। जिससे जिंदगी में कई तरह की समस्याएं आ रही है। अणुव्रत हमें अनुशासन भी सीखाता है।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश वैदिक ने अणुव्रत के महता और आचार्य तुलसी के बारे में बताते हुए कहा कि आज अणुव्रत के लिए ही नहीं बल्कि हमसब के लिए गौरव का दिन है आज के दिन ही अणुव्रत की स्थापना हुई थी जिसे लाखों लोगों ने अपनाया है।

इस मौके पर अणुव्रत विश्व भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संचय जैन ने कहा कि देश भर में स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जो आजादी मिली है वह अधूरी है। जब तक अपने अंदर छुपी हुई बुराईयों से आजादी नहीं लेगा तब तक आपकी आजादी नहीं है। आज देश व विदेश में अणुव्रत आंदोलन ले चुका है। वैक्तिक और वैश्विक समस्याओं का समाधान अणुव्रत दिलाता है।
इस मौके पर अणुव्रत विश्व भारती के राष्ट्रीय महामंत्री भीखम सुराणा ने कहा कि अणुव्रत का संदेश मनुष्य के जीवन में शुरुआत से देने की जरूरत है जिसके लिए हम लगातार कार्य कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अणुव्रत विश्व भारती अणुव्रत आंदोलन की प्रतिनिधि संस्था है। बिना किसी जाति, धर्म व लिंग भेद के मानव मात्र के हित को समर्पित यह आंदोलन अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्रीमहाश्रमण जी के आध्यात्मिक नेतृत्व में विकास करते हुए नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।