बीकानेर। संगीत मनीषी डॉ.मुरारी शर्मा की 75 वीं जयंती के अवसर पर सखा संगम द्वारा जयनारायण व्यास कॉलॉनी में संगीत अवदान पर चर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भवानीशंकर व्यास ‘विनोद” ने कहा कि बीकानेर के संगीत जगत में डॉ.मुरारी शर्मा मौन संत साधक थे, जिन्होंने देश-विदेश के संगीत अध्येयताओं के लिए भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों को परिभाषित किया । सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा ने कहा कि डॉ.शर्मा के संगीत अवदान से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए । कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डॉ.शर्मा के संगीत योगदान पर व्यापक अध्ययन की आवश्यकता है ।

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लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि डॉ.मुरारीजी ने नृत्य नाटिकाओं के सृजन, निर्देशन, प्रस्तुतिकरण, पुस्तक सृजन से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनायी। कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि संगीत का यह प्रखर स्वर आज अपनी हदों को लांघकर अनहद में समा गया। 08 मार्च 2019 को नाद ब्रह्म में लीन हो गया । मैने नृत्य नाटिकाएं लिखना मुरारीजी से सीखा जिन्हें उन्होंने अपने निर्देशन में शानदार मंचित भी करवाया ।

अब यह कमी अखरती रहेगी। कार्यक्रम में कवि चन्द्रशेखर जोशी ने डॉ.मुरारी शर्मा की स्मृतियों से जुडी भावपूर्ण काव्य रचना सुनाकर भाव विभोर कर दिया। संगीतज्ञ ज्ञानेश्वर सोनी ने गीत ‘दुनिया से जाने वाले चले जाते हैं कहां ? सुनाकर द्रवित कर दिया। युवा गायक गौरीशंकर सोनी ने डॉ.शर्मा द्वारा संगीतबद्ध गीत सुनाया । शाकद्विपीय ब्राह्मण बन्धु चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष आर.के.शर्मा ने कहा कि डॉ.शर्मा संगीत साधक के साथ सामाजिक सेवाओं में अग्रणी थे । समाजसेवी कामिनी भोजक ने कहा कि डॉ.मुरारीजी बीकानेर का गौरव थे ।
कार्यक्रम में डॉ.एम.एल.व्यास, कनय शर्मा, शिक्षाविद भगवानदास पडिहार, ब्रजगोपाल जोशी, डॉ.चन्द्रशेखर सांवरिया, अनुराग, नागेश्वर जोशी, खूमराज पंवार, अभियोजन अधिकारी चतुर्भुज शर्मा, जन्मेजय व्यास, ध्रुवशेखर जोशी ने भी विचार रखे । शशांकशेखर जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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