आचार्य भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन, भव्य भिक्षु भक्ति संध्या में कलाकारों ने किया श्रोताओं को मंत्रमुग्ध
बीकानेर । तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु की 215वीं पुण्यतिथि का आयोजन तेरापंथ भवन गंगाशहर में किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री मुनिव्रतजी आचार्य भिक्षु को भगवान महावीर की वाणी को जीवन में उतारने वाला बताया। उन्होंने कहा कि शिथिलाचार के खिलाफ धर्मक्रान्ति की जिससे तेरापंथ का उदय हुआ। मुनिश्री शान्तिकुमारजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु सत्यान्वेषी थे। उन्होंने सत्य को जिया। उन्होंने कहा कि हम भिक्षु के सिद्धान्तों व दर्शन को अपने जीवन में उतारें। मुनिश्री विनीतकुमारजी आचार्य भिक्षु एवं तेरापंथ की स्थापना की चर्चा करते हुए अपनी भावांजलि अर्पित की। मुनिश्री विमलबिहारी जी ने कहा कि भिक्षु अन्धविश्वासों के खिलाफ थे तथा उनकी तार्किक बुद्धि तेज थी। उन्होंने श्रावकों द्वारा उठाये गए प्रश्नों को सही मानते हुए उनका साथ दिया। समारोह के मुख्य वक्ता जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि तेरापंथ में गुरू का महत्व है, गुरू ही ईश्वर से मिला सकता है। उन्होंने कहा आचार्य भिक्षु के जीवन प्रसंगों से शिक्षा ग्रहण करके उनका केवल स्मरण ही ना करें उनको आचरण में भी लागु करें। आचार्य भिक्षु को महान मर्यादा पुरूष बताते हुए कहा कि उन्होंने अनुशासन को सबसे ज्यादा महत्व दिया। जिसके चलते ‘अनुशासन’ तेरापंथ का प्राण तत्व बन गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए तेरापंथ सभा अध्यक्ष डॉ. पी.सी. तातेड़ ने आचार्य भिक्षु के जीवन वृत पर प्रकाश डाला। तेरापंथ महिला मण्डल, मुनिश्री श्रेयांस कुमारजी, कन्या मण्डल व चैनरूप छाजेड़ ने गितिकाओं के माध्यम से भावांजलि अर्पित की। तेयुप मंत्री एड़. कन्हैयालाल बोथरा ने भिक्षु को महान क्रान्तिकारी बताया। तेरापंथ सभा के मंत्री अमरचन्द सोनी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि सत्य को स्वीकारने में दोष क्या व झूठ को ललकारने में दोष क्या है? यही हमने भिक्षु से सीखा। समारोह में तेरापंथ समाज के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थी। सान्निध्य मुनिश्री राजकरण जी का था तथा संचालन अमरचन्द सोनी ने किया।
भिक्षु भक्ति संध्या
आचार्य भिक्षु की स्मृति में विशाल भिक्षु भक्ति संध्या का आयोजन हुआ जिसमें बाहर से पधारे हुए एवं स्थानीय गायकों ने स्वर लहरियों से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। चेन्नई से पधारी श्रीमती एकता चौरडि़या के गीत ‘तेरस री है रात’ पर पूरा पंडाल स्वरमय हो गया। जब उन्होंने ‘जपें हम भिक्षु-भिक्षु नाम’ तो माहौल भिक्षु मय हो गया। राजेन्द्र बोथरा ‘सांवरा सांवरा हर गली गा रही है’ तथा ’तेरापंथ रो भाग्य विधाता’ गाया तो ओम अर्हम् की ध्वनि से पंडाल गुंजायमान हो गया। पाली से आयी श्रीमती अरूणा भंसाली ने ‘माता दीपा रा लाला’ से अपनी भावांजलि अर्पित की। युवा गायक रोशन बाफना ने ‘जिनको भिक्षु बाबा से लगाव हो गया जिन्दगी में उनके बदलाव हो गया’ की प्रस्तुति दी। सुश्री प्रियंका छाजेड़ ने ‘अधि देवता ले लो वंदन हमारा’ तथा कोमल एकता पुगलिया ने ‘कैसे तुमने आंधी तुफान झेले’ तथा कमल महनोत ने ‘संघ महिमा’ गाकर अपनी प्रस्तुतियां दी। मंगलाचरण चैनरूप छाजेड़ ने किया तथा मनोज छाजेड़, निर्मल बैद, यश बैद ने भी अपनी भावांजलि दी। मुनिश्री मुनिव्रतजी एवं मुनिश्री श्रेयांसकुमारजी ने अपनी गितिकाओं के माध्यम से भावांजलि अर्पित की। संचालन भैरूदान सेठिया ने किया तथा मंगलपाठ मुनिश्री शान्तिकुमारजी ने सुनाया। देर रात तक चली इस भक्ति संध्या को सुनने आए लोगों के लिए जगह भी कम पड़ गई जिसके लिए आयोजको को दरियां बिछाकर व्यवस्था करनी पड़ी।