शॉर्ट फिल्म से विचारों की सुन्दरता को निखारने के प्रति समर्पित: प्रो. गहलोत

बीकानेर । अणुव्रत को मात्र शब्दों में नहीं जीवनशैली में उतारे जाने की आवश्यकता है। अणुव्रत का पालन करने वाले को प्रेक्षाध्यान एवं ध्यान का पालन करने वाले को अणुव्रती बनने की ओर प्रयासरत होना चाहिए। ये विचार मुनिश्री राजकरणजी ने आचार्यश्री तुलसी की 21वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रमों के तहत अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने इस अवसर पर ‘धम्मो मंगल मुक्ट्ठिम् अहिंसा संजमो तहो’ का संदेश देते हुए धर्म और संप्रदाय के मध्य अंतर को स्पष्ट किया।

इस अवसर पर मंच पर सुशोभित मुनिश्री पीयूष कुमार जी आचार्य तुलसी के प्रति अपने भाव प्रकट करते हुए उन्हें इस सृष्टि का एक अविभाज्य अंग बताया एवं कहा कि फिल्म फेस्टिवल के लिए बनाई गई फिल्में विचारों के माध्यम से बनाई गई है। इस फेस्टिवल को मील का पायदान बनाने की दृष्टि से आचार्यश्री के शब्दों की अपेक्षा विचारों को गूंजायमान बनाया जाना आवश्यक है।’’ ‘नैतिकता का शक्तिपीठ’ पर बनी डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के साथ प्रारंभ हुए फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन देश-विदेश की लगभग 45 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। फिल्म फेस्टिवल में बाहर से आये फिल्म प्रोड्यूशर यासिर तलेबी, डिकेश खदगी शाही बीकानेर पधारे। फिल्म फेस्टिवल में शॉर्ट फिल्म द मैजिक ऑफ गिविंग, धाव, नैचर, नरचर एण्ड कल्चर, ड्रिम्स ऑफ विह्ल आदि फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति राजूवास प्रो. डॉ. ए के गहलोत ने कहा कि ज्यूरी का कार्य काफी कठिन रहता है। आचार्यश्री तुलसी पर आधारित शॉर्ट फिल्म में मैसेज देने हेतु एक टीम कार्य कर रही है जो नयी पद्धति के साथ-साथ संक्षिप्त रूप में शॉर्ट फिल्म के माध्यम से विचारों की सुंदरता को निखारने के प्रति समर्पित है। उन्होने कहा कि आज के इस दौर में संचार माध्यमों से दूरस्थ क्षेत्रों से जुड़ाव स्थापित करके पूर्ण निष्ठा से आज की युवा पीढ़ी का नैतिकता के प्रति झुकाव तारीफ योग्य है। उन्होंने कहा कि प्रतिक रूप में संदेश देने में पशुओं का उद्ाहरण दिया जाता है।

टी.एम. लालाणी के संरक्षण में चल रहे शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में महापौर नारायण चौपड़ा ने कहा कि आचार्यश्री का गंगाशहर में महाप्रयाण होना क्षेत्र के लिए गौरव का विषय रहा। उन्होंने कहा कि फिल्म फेस्टिवल के माध्यम से आचार्य तुलसी के सिद्धान्तों और विचारों को प्रदर्शित किया जाना उनके अवदानों को पुनः स्मरण करवाने के साथ-साथ जीवन में आत्मसात् का माध्यम बनेगा।

स्वागत भाषण देते हुए आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के महामंत्री जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि यह शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल फिल्म जगत में एक अद्भुत प्रयोग सिद्ध होगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में निर्धारित विषयों से प्राप्त एवं प्रदर्शित की जा रही शॉर्ट फिल्मों के माध्यम से अध्यात्म, सामाजिक सरोकारों का सकारात्मक संदेष नयी पीढ़ी को प्राप्त होगा। उन्होंने अतिथियों, फिल्म प्रोड्यूर्स, निदेशकों एवं कलाकारों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इस शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, तेहरान आदि देशों से 620 फिल्में प्राप्त हुई है। उसमें से चुनिन्दा फिल्मों का प्रदर्शन किया गया है और देश के अनेक क्षेत्रों से फिल्म प्रोड्यूसर भी बीकानेर पधारे है।

आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के सचिव जतनलाल दूगड़ ने आभार ज्ञापित किया। इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र का उच्चारण से फेस्टिवल का प्रारम्भ किया गया। तेरापंथ कन्या मंडल व किशोर मण्डल द्वारा मंगलाचरण में नैतिकता की सुर सरिता के संगान से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।  समन्वयक गोपालसिंह सिंह ने फिल्म फेस्टिवल के संबंध में पूर्ण जानकारी देते हुए उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी मेम्बर स्वरूपा घोष, ऋषि भुटानी, राहत काजमी, मोहनदास एवं अशोक चौरडि़या रहे। मुख्य अतिथि डॉ. गहलोत, महापौर चौपड़ा को पताका पहनाकर एवं साहित्य व स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित ने किया।