सूरत (योगेश मिश्रा) पांडेसरा जीआईडीसी की शालू डाइंग मिल में हुए हादसे में घायल मरीजों को चौबीस घंटे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती रखने के बाद रविवार सुबह एफ-2 और हड्डी वार्ड में ट्रांसफर किया गया। घायलों ने कंपनी तथा प्रशासन पर देखभाल नहीं होने का आरोप लगाया तथा परिसर में इक_ा हो गए। बाद में चिकित्सकों ने उन्हें दुबारा इमरजेंसी वार्ड में ही रखने की व्यवस्था की।


पांडेसरा जीआइडीसी की शालू डाइंग मिल में हुए हादसे में घायल सत्रह लोगों को न्यू सिविल अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था। रविवार सुबह तक सभी मरीजों को स्टेबल करने के बाद कुछ को एफ-2 तथा कुछ को हड्डी वार्ड में ट्रांसफर किया गया। यह लोग वार्ड में शिफ्ट नहीं होना चाहते थे। दोपहर में शालू डाइंग मिल हादसे में घायल कुछ लोग पोस्टमार्टम रूम के सामने अस्पताल अधीक्षक कार्यालय के नजदीक इक_े होने लगे। समाज के कुछ अग्रणी लोग कंपनी के द्वारा घायलों की अनदेखी तथा अस्पताल प्रशासन द्वारा वार्ड बदलने से नाराज थे। इसकी खबर अस्पताल प्रशासन को मिली।

इसके बाद डॉ. ओनकार चौधरी, डॉ. आर. डी. बर्मन उन्हें समझाने पहुंचे। चिकित्सकों ने घायलों को बताया कि अस्पताल में भर्ती रहने से ही घटना के संदर्भ में सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। उनके वार्ड से बाहर निकलने या चले जाने पर उसे सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा। अस्पताल में रहने खाने की सभी व्यवस्था निशुल्क मिलेगी। इसके बाद फिर घायलों के परिजन मान गए और दुबारा उसी इमरजेंसी वार्ड में लौट आए। अस्पताल प्रशासन को मरीजों ने दो दिन से खाना नहीं खाने की शिकायत की। इसके बाद चिकित्सकों ने उनके लिए रसोईघर से खाने की व्यवस्था भी करवा दी। कंपनी की ओर से कोई कोई राहत नहीं मिलने से कर्मचारियों में रोष देखने को मिला। ज्यादातर मजदूर शहर में अकेले रहते हैं और उनका कोई रिश्तेदार भी यहां नहीं है।