पटना ।(सुधांशु कुमार सतीश) फिल्म उद्योग में तकनीकी पक्षों का सबसे अहम योगदान होता है। तकनीकी प्रशिक्षण पाकर बिहार के युवा भी इस क्षेत्र में बड़ा काम कर सकते हैं। क्योंकि, बिहार शुरू से कई क्षेत्रों में आगे रहा है। उक्त बातें पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सी. पी. ठाकुर ने विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सिनेमेटोग्राफी कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने अलग-अलग क्षेत्रों में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। फिल्म के क्षेत्र में भी यहां से कई फिल्मकार एवं कलाकार प्रसिद्ध हुए हैं। इस प्रकार के सिनेमेटोग्राफी कार्यशाला के माध्यम से यहां के युवा फिल्म तकनीक से न सिर्फ परिचित होंगे बल्कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में बेहतर काम करेंगे। इस प्रकार के कार्यशाला का उद्देश्य यह भी होना चाहिये कि अन्य क्षेत्रों की तरह फिल्म तकनीक के क्षेत्र में भी बिहार आगे हो। डॉ0 ठाकुर ने अपने सिनेमाई रूचि के विषय में भी बताया। उन्होंने मेडिकल क्षेत्र में हो रहे शोध एवं तकनीकी बदलाव का उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि फिल्म तकनीक के क्षेत्र में भी लगातार बदलाव हो रहे हैं। इन बदलावों से अवगत रहने के लिए जरूरी है कि तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायें।


कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक एफटीआईआई, पुणे से जुड़े सिनेमेटोग्राफर महेश दिग्राजकर ने बताया कि फिल्म सिनेमेटोग्राफी पूरी तरह से तकनीक के साथ-साथ सृजन आधारित विषय है। इसमें आकर्षक दृश्य उतारने के साथ-साथ सिनेमा के व्याकरण की समझ भी जरूरी है। इन्हीं बातों को आधार बनाकर अगले तीन दिनों तक इस कार्यशाला में कैमरा, लेंस, प्रकाश, फ्रेमिंग, रंग-विन्यास, इनडोर-आउटडोर शूटिंग में चुनौतियां इत्यादि विषयों पर विस्तार से संवाद किया जायेगा। इस दौरान विश्व की क्लासिक फिल्मों की क्लिपिंग के माध्यम से सिनेमेटोग्राफी के विभिन्न पक्षों को समझाने का प्रयास किया जायेगा।
समाजसेवी रेशमा किन्नर जी ने सिनेमेटोग्राफी कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि फिल्म के क्षेत्र में भी तकनीकी विशेषज्ञों की मांग हमेशा रहती है। इस कार्यशाला के माध्यम से सिनेमेटोग्राफी को विस्तार से समझने का अवसर मिलेगा। यह ऐसा क्षेत्र है जिसे किसी भी क्षेत्र और उम्र के लोग सीख सकते हैं एवं उस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन भारत में किन्नरों का सामाजिक व्यवस्था में अहम योगदान था। दुर्भाग्यवश मुगल काल से इनको मुख्य धारा से अलग कर भिक्षावृति के लिए बाध्य कर दिया गया। अब समय बदल रहा है और समाज के लोग फिर से किन्नरों को मुख्य धारा से जोड़कर आगे बढ़ रहे हैं। सृजन या तकनीक कोई भी क्षेत्र हो उसमें किन्नर समाज के लोग सराहनीय कार्य कर रहे हैं।


विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि पत्रकारिता के प्रशिक्षण कार्यक्रम संवाद केन्द्र विगत 14 वर्षों से चला रहा है। और फिल्म का क्षेत्र ऐसा है जो पत्रकारिता के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए समय-समय पर केन्द्र द्वारा सिनेमा के अलग-अलग पक्षों पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया जाता रहा है। उम्मीद है कि इस कार्यशाला में भाग ले रहे प्रतिभागी भविष्य में सिनेमेटोग्राफी के क्षेत्र में बिहार और भारत का नाम रौशन करेंगे।
विश्व संवाद केन्द्र के संपादक संजीव कुमार ने मंच संचालन करते हुए आगत अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराया। विषय प्रवेश कराते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में सिनेमा की स्वस्थ्य संस्कृति विकसित हो इसके लिए यह संस्था एवं पाटलिपुत्र सिने सोसायटी हमेशा से प्रतिबद्ध रही है। आने वाले समय में भी संस्था द्वारा शॉर्ट फिल्म एवं डॉक्युमेंट्री प्रतियोगिता, फिल्म महोत्सव एवं फिल्म से जुड़े शोध ग्रंथों का प्रकाशन किया जाना है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में पटना कॉलेज के जनसंचार विभाग के शिक्षक डॉ. गौतम कुमार, फिल्मकार प्रशांत रंजन, अमरनाथ वर्मा समेत पटना के विभिन्न महाविद्यालयों के जन संचार के छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।(PB)