लू-तापघात से कैसे करें बचाव

लू-तापघात से कैसे करें बचावबीकानेर ।  जिले में इस वक्त भीषण गर्मी का प्रकोप है। पारा पैंतालिस डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। लू के गर्म थपेड़ों से सभी त्रास्त हैं। लू-तापघात की चपेट में कोई भी व्यक्ति आ सकता है, किन्तु बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं, श्रमिक, यात्राी आदि के इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।

लू व तापघात के लक्षण – तापघात होने पर सिर में भारीपन, चक्कर और दर्द, अधिक प्यास लगना, शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, शरीर का तापमान बढ़ना, पसीना आना बंद होना, त्वचा का सूखना, बेहोशी आदि लक्षण होते हैं। समुचित उपचार के अभाव में मृत्यु तक हो सकती है।
ये लक्षण शरीर में लवण व पानी की आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होते हैं। मस्तिष्क का एक केन्द्र, जो शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखता है, काम करना बंद कर देता है। लाल रक्त कोशिकाएं, रक्त वाहिनियों में टूट जाती हैं। कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार में आ जाता है, इससे हृदय गति एवं शरीर के अन्य अव्यव और अंग प्रभावित होकर लू- तापघात के रोगी को मृत्यु के मुंह में धकेल देते हैं।

बचाव के उपाय – ग्रीष्मकाल में थोडे़-थोड़े अन्तराल के पश्चात् ठंडे पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजे फलों के रस का सेवन करना चाहिए। तेज धूप में बाहर निकलने पर छाते का उपयोग अथवा कपडे़ से सिर व शरीर को ढक कर रखा जाए। घर से निकलते समय ताजा भोजन व उचित मात्रा में ठंडे जल का सेवन करके निकलंे। श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखा जाए, जिससे उन्हें राहत मिल सके ।
उपचार- लू- तापघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थान पर लेटा देना चाहिए, उसकी त्वचा को गीले कपडे़ से स्पंज करते रहें तथा उसके कपड़ों को ढीला कर दें। रोगी होश में हो तो उसे ठंडे पेय पदार्थ देवंे। साथ ही उसे तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार के लिए ले जाना चाहिए।

 शरद केवलिया
सहायक जनसम्पर्क अधिकारी,
बीकानेर