सब खैरियत है……. मुकेश पूनिया

कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद अलर्ट मोड़ में आई कांग्रेस यहां राजस्थान में अपने कई विधायकों पर पैनी नजर रखे हुए है। ऐसे विधायको पर खास नजर रखी जा रही है जिनके पांव कच्चे है। मजे कि बात तो यह है कि ऐसे दर्जन भर से ज्यादा कांग्रेसी विधायकों की हिटलिस्ट कांग्रेस आलाकमान के पास पहुंच चुकी है जो राजस्थान की सत्ता पर संकट के समय गच्चा दे सकते है। ऐसे सत्ता बचाओं रणनीति के तहत कच्चे पांव वाले विधायकों पर खास नजर रखने की हिदायत दी गई है। अंदर की खबर है कि सत्ता को लेकर होने वाले उठा पटक के खेल में सरदारशहर वाले विधायक का नाम तो सुर्खियों में भी आ चुका है। इसके अलावा जाट लॉबी के कई विधायक यहां सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ अंसुष्टता का राग अलाप रहे है,आंशका है कि अंसतुष्ट लॉबी के यह विधायक मौका मिलने पर पाला बदलने के खेल में शामिल हो सकते है। लेकिन फिलहाल सब खैरियत है।

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यहां तो हवा हो गये हाईकोर्ट के आदेश
हमारे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में आदेश दिये थे कि शहरों के मास्टर प्लान में जो जगह जिसके लिए चिह्नित है, उसकी पालना कराई जाए,मतलब यह है कि ईको सेंसिटिव जोन, ईकोलॉजिकल जोन और ग्रीन बेल्ट एक बार तय होने पर मास्टर प्लान में इनकी जगह में बदलाव नहीं हो सकता है। मगर बीकानेर में हाईकोर्ट के आदेश हवा होते नजर आ रहे है, भू-माफिया यहां कॉलोनाईजर बन कर ग्रीन बेल्ट और खेतों की जमीनों पर अवैध कॉलोनिया बसा कर करोड़ो कमा रहे है। हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में इन भू-माफियाओं और कॉलोनाईजरों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन माल कमाने में माहिर प्रशासन और न्यास के अधिकारी हाईकोर्ट आदेशो की पालना कराना अपनी शान के खिलाफ समझते है, मजे कि बात तो यह है कि शहर के आस पास ग्रीन बेल्ट में बसाई गई अवैध कॉलोनियों में थोक के भाव बिक रहे भूखण्ड बेचने के खेल में बीकानेर के प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगती भी सामने आई है। लेकिन कौन माई का लाल है जो बेईमान अफसरों की लगाम कसे,इसलिये सब खैरियत है।


खुद की सत्ता में बेबस कांगे्रेसी
राजस्थान की सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार के इस शासनकाल में अफसरशाही हावी होने के कारण पार्टी नेता और कार्यकर्ता खुद को बेबस मेहसूस कर रहे है। पता चला है कि गहलोत सरकार के ज्यादात्तर मंत्रियों ने अपने चेहते अफसरों को अहम पदो पर बैठा रखा है जो पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ज्यादा लिफ्ट नहीं देते,हमारे बीकानेर के कांग्रेसियों में यह पीड़ा सबसे ज्यादा नजर आ रही है। यहां प्रशासन और पुलिस समेत राजकीय हल्कों में तैनात अफसर कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ज्यादा नजदीक नहीं लगने देते है। हालात यह है कि कांगे्रस प्रतिनिधियों को अपना काम कराने के लिये अफसरों-कार्मिकों के आगे पीछे घूमना पड़ता है। जबकि इससे पिछले राज में पार्टी के सिपहासालारों की यहां प्रशासनिक हल्को और राजकीय विभागों में अच्छी पकड़ थी,अफसर खुद हाजरी में खड़े रहते थे लेकिन इस बार ना जाने किसकी नजर लग गई है,अफसर तो दूर छोट-मोटे मुलाजिम भी सत्तावालों को ज्यादा तरजीह नहीं देते और अपनी पहुंच डागा चौक तक बताकर धौंस जमाते है इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।

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यहां चहुंओर बैठे है मेहमूद
देहज हत्या के मामले में पीडि़त पक्ष से पचास हजार रूपये की रिश्वत लेते गये हत्थे चढे नोखा सीओं मेहमूद का मामला खाकी हल्कों की सुर्खिया बना हुआ है। हालांकि मेहमूद का पकड़ा जाना एसीबी की बड़ी सफलता है,लेकिन बीकानेर पुलिस में ऐसे कई मेहमूद तैनात है जो आंकठ तक घूसखोरी में लिप्त है। इनकी घूसखोरी के किस्से आये दिन सुनाई देते है लेकिन इनके पकड़े का मुहुर्त अभी तक नहीं निकला है। घूसखोरी के कई मेहमूदों ने तो यहां अपने ऐजेंट तक छोड़ रखे है,पुलिस से जुड़े हर मामले में अपनी हिस्सेदारी रखते है। पता चला है कि जिप्सम और बजरी खनन हल्कों वाले मेहमूद तो बड़ा खेल कर जाते है और किसी को भनक भी नहीं लगने देते। वहीं सदर सर्किल में तैनात एक मेहमूद के बारे में अभी दो दिन पहले ही शहर का एक नामी सर्राफा कारोबारी अपनी पीड़ा जाहिर कर रहा था। देह शोषण में फंसे इस सर्राफा कारोबारी के मुताबिक जबसे मेरे मामले फाईल जबसे सदर सर्किल वाले मेहमूद के पास गई है तब उसकी लागत दुगुनी हो गई है,लेकिन फिलहाल सब खैरियत है।

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