बिजली विभाग में हुए पीएफ घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी के दिल्ली स्थित मुख्यालय की स्पेशल इंवेस्टीगेशन यूनिट के डिप्टी डायरेक्टर प्रमोद कुमार ने मंगलवार को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) से पीएफ घोटाले की एफआइआर कॉपी के अलावा जांच में अब तक सामने आए तथ्यों, बैंक खातों व ब्रोकर कंपनियों से जुड़े दस्तावेज हासिल किए। बताया गया कि ईडी दिल्ली निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के खिलाफ पूर्व में केस दर्ज कर जांच कर रही है। जल्द पीएफ घोटाले में भी ईडी मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने की तैयारी में है।बीते दिनों डीजी ईओडब्ल्यू ने जांच में मनी लांड्रिंग से जुड़े तथ्य सामने आने पर ईडी दिल्ली को पत्र लिखकर प्रकरण की जांच की सिफारिश की थी।

पीएफ घोटाले में ईओडब्ल्यू पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी, सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता, उनके बेटे अभिनव गुप्ता व तीन चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) समेत 14 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। ईओडब्ल्यू की जांच में कुछ अन्य संदिग्धों की भूमिका सामने आई है, जिनकी खिलाफ साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।ईओडब्ल्यू ने जांच के दायरे में आई करीब 28 ब्रोकर फर्मों के बारे में लंबी छानबीन की है। पीएफ का निवेश कराने के बदले ब्रोकर फर्मों को दिए गए करोड़ों के कमीशन जिन खातों में ट्रांसफर किए गए, उनकी भी सिलसिलेवार जांच की गई है। कई फर्जी ब्रोकर फर्मों व बैंक खातों की छानबीन के दौरान ही मनी लांड्रिंग के साक्ष्य सामने आए थे।

कई ब्रोकर फर्मों को कमीशन की रकम ठिकाने लगाने के इरादे से ही अलग-अलग नामों से पंजीकृत कराया गया था। इन फर्मों को दी गई कमीशन की रकम को दूसरे खातों में भेजा गया था। सीए ने काले धन को सफेद करने में अहम भूमिका निभाई थी। ईओडब्ल्यू सभी खाता धारकों की भी सिलसिलेवार छानबीन कर रही है।बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के करीब 4122.70 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। शासन के आदेश पर घोटाले की विवेचना ईओडब्ल्यू कर रही है। प्रकरण की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश भी की गई थी, लेकिन सीबीआइ ने अब तक जांच अपने हाथ में नहीं ली है।