बीकानेर सखा संगम एवं मुक्ति संस्था के तत्वावधान वरिष्ठ कवि और अध्येता श्री चन्द्र शेखर जोशी के प्रथम काव्य संग्रह “एक संध्या सखा सागर में” का लोकार्पण बुधवार को धरणीधर रंगमंच पर विद्वान अतिथियों के कर कमलों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार- आलोचक डॉ श्रीलाल मोहता थे , लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास “विनोद ” ने की तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय साहित्य अकादेमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य “आशावादी ” थे। लोकार्पित पुस्तक पर पत्र वाचन साहित्यकार एवं सम्पादक नदीम अहमद नदीम ने किया। कविता संग्रह के लोकार्पण अवसर पर सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ श्री लाल मोहता ने कहा कि जोशी की कविताएं किसी वाद से बंधी हुई नहीं है इनकी कविताएं इन्द्रधनुष के समान सतरंगी और अमर है। डॉ मोहता ने कहा कि जोशी के अनुभवों से उपजी हुई , मौन साधना से भीतर से निकले हुए शब्दों की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि जोशी की कविताएं नारेबाजी एवं स्टेटमेंटें से दूर होती हुई आत्मीय भाव प्रधान है। डॉ मोहता ने कहा कि कवि पूरे नगर को सखा बनाने की जुगत में अपनी नयी जमीन तराशते है। उन्होंने कहा कि जोशी के अनुभवों में पृथ्वी, आकाश के साथ नदियों से नजदीकी है तो जोशी प्रेम के कवि हैं।  वे एक प्रतिबद्ध सखा के साथ सरल ह्रदय व संस्कृतिनिष्ठ कवि है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास “विनोद ” ने कहा कि जोशी का प्रथम काव्य संग्रह एक भरापूरा अनुभव संसार है इनकी कविताओं में अनोखा विषय वैविध्य है, जोशी की कविताओं में जीवन की खुशियाँ और त्रासदियां है तो सपने, स्मृतियाँ और तल्ख सच्चाईयां भी हैं। व्यास ने कहा कि जोशी की कुछ छोटी कविताएं पाठकों को तत्काल आकर्षित करती हैं। उन्होंने कहा कि जोशी की कविताओं का सबसे सबल पक्ष सखा समुदाय को लेकर है। उन्होंने कहा कि इस संग्रह की कविताएं परिपक्वता और सघन अनुभूतियों की सार्थक  अभिव्यक्तियां एक सुखद आश्चर्य उपजाती हैं।
लोकार्पण समारोह के विशिष्ट अतिथि मधु आचार्य ने कहा कि चन्द्रशेखर जोशी प्रेम और मुलायम व्यवहार के सच्चे कवि हैं एक अध्येता होने के कारण इनकी कविताएं पाठकों को तत्काल आकर्षित करती हैं और गहराई तक प्रभावित करने वाली है। आचार्य ने कहा कि जोशी की कविताएं सास्कृतिक मूल्यों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है।
लोकार्पित पुस्तक पर पत्र वाचन करते हुए साहित्यकार नदीम अहमद नदीम ने कहा कि जन सरोकारों को इंगित करती कविताएं जब एक संध्या सखा सागर में  अपनी उपस्थिति दजऱ् करवाते ध्यान आकृष्ट करती है तो  शिक्षाविद् के साथ- साथ कवि रूप में चन्द्रशेखर जोशी से पाठक का साक्षात्कार होता है। ये साक्षात्कार कई अर्थों में पाठक को चौंकाता भी है साथ ही आश्वस्त भी करता है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि अनुभव और अध्ययन और सृजनात्मक पैमाने के आगे उम्र का गणित कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने कहा कि सुप्रसिद्ध कवि नन्द चतुर्वेदी का पहला काव्य संग्रह ‘ ये समय मामूली नहीं ‘ साठ की उम्र के बाद प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा कि यह कहना प्रासंगिक होगा कि चन्द्रशेखर जोशी का यह प्रथम संग्रह जरूर है मगर इनकी अनुभूति और अन्त:दृष्टि की व्यापकता इन्हें पाठक के जेहन में सुपरिचित कवि के रूप में प्रतिष्ठित करती है। इस अवसर पर कवि चन्द्रशेखर जोशी ने अपनी रचना प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए लोकार्पित कृति की रचनाएँ क्रमश: ईश्वर,सूखा ठूंठ अकेला, एक संध्या सखा सागर में,फाल्गुनी खुशहाल, एकान्त एवं संकल्प न टूटेगा सहित अनेक कविताएं सुनायी।


कार्यक्रम के प्रारंभ में मुक्ति के सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि साहित्य जगत में एक संध्या सखा सागर में का जोरदार स्वागत किया जाएगा क्योंकि यह अनुभव से उपजी कविताओं के साथ शिल्प की दृष्टि से अनुपम कृति है।  इस अवसर पर सखा संगम की और से ग्यारह साहित्यकारों क्रमश: बुलाकी शर्मा,डॉ उमाकान्त गुप्त,डॉ मुरारी शर्मा, नटवरलाल व्यास, मनमोहन कल्याणी,ज्योति प्रकाश रंगा, नदीम अहमद नदीम, मधु आचार्य , डॉ श्री लाल मोहता एवं भवानीशंकर व्यास  को सखा गौरव सम्मान से समादृत किया गया।
कार्यक्रम में कवि जोशी ने अपनी पुस्तक अनेक मित्रों और बुद्धिजीवियों को भेंट की।
कार्यक्रम के अन्त में सखा संगम एवं मुक्ति संस्था की और से सखा संगम के अध्यक्ष एन डी रंगा ने आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम में युवा गायक गौरीशंकर  सोनी ने संगीतमय प्रस्तुति पेश की । कार्यक्रम के दौरान नगर की अनेकों संस्थाएँ क्रमश: शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्था, संगीत भारती , सप्तॠषि मंडल, जिला तैराकी संघ , कोलकाता निवासी शिवकुमार पुरोहित सहित कई संस्थाओं द्वारा कवि और अध्येता श्री चन्द्र शेखर जोशी का सम्मान किया गया।  कार्यक्रम में विद्यासागर आचार्य, चतुर्भुज व्यास, सरदार अली पडिहार, हीरालाल हर्ष, राजेश चूरा, डॉ अजय जोशी, डॉ.नीरज दैया, बिशन मतवाला, नगेन्द्र किराड़ू, डॉ ओम कुबेरा, डॉ रेणुका व्यास, नागेश्वर जोशी , खूमराज पंवार, डॉ समीक्षा व्यास, शिवकुमार पुरोहित, अशफ़ाक कादरी, राजाराम स्वर्णकार , भंवर पुरोहित, नरसिंह भाटी, इक़बाल खान, गोविन्द नारायण व्यास, गुलाम मोइनुद्दीन माहिर, ज्योति वधवा रंजना, मईनूदीन कोहरी, डॉ एस एन हर्ष, डॉ बसंती हर्ष, महेश आर्य, नरसिंह आर्य, बृजगोपाल जोशी, योगेन्द्र पुरोहित, डॉ नमामी शंकर आचार्य, मोहन थानवी, इसरार हसन कादरी, सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया ।(PB)